बातचीत के महज 24 घंटे बाद चीन का प्रोपेगेंडा वीडियो, हुबेई प्रांत से भारतीय सीमा पर हजारों सैनिक तैनात करने का दावा
ग्लोबल टाइम्स ने किया दावा कि हुबेई प्रांत से भारत सीमा पर हजारों सैनिकों को तैनात किया गया है. लेकिन ग्लोबल टाइम्स की जो वीडियो-रिपोर्ट सामने आई है उसे देखकर ऐसा लगता है कि ये एक वीडियो-शूट है.
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नई दिल्ली: भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स के बीच बैठक खत्म हुए महज़ 24 घंटे भी नहीं बीते कि चीनी सेना ने भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया. चीन के मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि चीनी सेना ने कुछ ही घंटों में हजारों सैनिक और आर्मर्ड गाड़ियों को हुबेई प्रांत से भारत-चीन सीमा पर तैनात कर दिया है. हुबेई प्रांत के वुहान से ही कोरोना वायरस निकला था जो आज पूरे विश्व में महामारी बन चुका है.
ग्लोबल टाइम्स और चीन के सीसीटीवी चैनल की रिपोर्ट्स को मानें तो चीन की पीएलए यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एक मैन्युवर-ऑपरेशन के जरिए अपने सेंट्रल प्रांत, हुबेई से हजारों की तादाद में सैनिकों को सिविल एयरक्राफ्ट, ट्रैन और बसों के जरिए भारत सीमा से सटे हाई-ऑल्टिट्यूड रिजन में भेजने की ड्रिल की.
लेकिन ग्लोबल टाइम्स की जो वीडियो-रिपोर्ट सामने आई है उसे देखकर ऐसा लगता है कि ये एक वीडियो-शूट है. क्योंकि सैनिकों की वर्दी पर एक भी सिलवट नहीं है, जबकि हुबेई प्रांत चीन का मध्य-प्रांत है और वहां से लद्दाख से सटी एलएसी करीब करीब चार हजार किलोमीटर की दूरी पर है. साथ ही सैनिक ट्रैन हो या फिर हवाई जहाज सभी में हेलमेट लगाकर बैठे हैं. हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि ये सभी सैनिक उसी वुहान के प्रांत से आए हैं जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है और अब पूरी तरह से महामारी से उबर चुका है लेकिन किसी ने भी चेहरे पर मास्क तक नहीं लगाया हुआ था. इसके अलावा सैनिक ऐसा लग रहा है कि खाली बॉक्स विमान में चढ़ा रहे हैं.
आपको यहां पर ये भी बता दें कि लद्दाख से सटी भारत-चीन सीमा हाई-आल्टिट्यूड पर है जहां तैनात करने के लिए सैनिकों को कम से कम एक हफ्ते का एकलेमेटाइजशन यानि जलवायु के प्रति अनुकूल होने की एक खास ट्रैनिंग लेनी होती है. उसके बाद ही सैनिकों को वहां तैनात किया जाता है. ऐसा नहीं किया गया तो सैनिक हाई-ऑल्टिट्यूड से जुड़ी बीमारी से तुरंत ग्रस्त हो सकते हैं.
भारतीय सेना की तरफ से चीनी मुखपत्र की इस रिपोर्ट और वीडियो पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है. हालांकि शनिवार को दोनो देशों के कोर-कमांडर्स के बीच चल रही मीटिंग के दौरान ही भारतीय सेना ने बयान जारी कर मीडिया को हिदायत दी कि सीमा पर चल रहे तनाव और मीटिंग को लेकर किसी भी तरह की काल्पनिक और तथ्यहीन रिपोर्टिंग ना करें.
चीन की पीएलए सेना ने ये अभ्यास ऐसे समय में किया है जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले एक महीने से भी ज्यादा से लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल) पर तनातनी चल रही है. गैलवान घाटी और फिंगर एरिया में दोनों देशों के सैनिक आपस में भिड़ चुके हैं जिसके चलते दोनों तरफ के कई दर्जन सैनिक घायल हुए थे. गैलवान घाटी में दोनों देशों की सेना महज़ 500-600 मीटर की दूरी पर कैंप लगाकर बैठ गई हैं.
चीनी सेना के मैन्यवुर ऑपरेशन की ये रिपोर्ट वीडियो के साथ उस दिन आई जब कुछ घंटे पहले ही भारत के विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के कोर-कमांडर्स के बीच चुशूल-मोलडो में शनिवार को हुई बैठक के बारे में आधिकारिक बयान जारी किया गया. विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया था कि दोनों देश के सैन्य कमांर्डस सीमा पर उपजे तनाव को पूर्व में हुए समझौते के अनुरूप शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए तैयार हो गए हैं. हालांकि, बयान में कहा गया था कि दोनों देशों के मिलिट्री कमांर्डस और राजनयिक अभी और बैठक करेंगे.
आपको बता दें कि जबसे भारत के साथ सीमा पर तनाव शुरू हुआ है चीनी सेना का ये कोई पहला प्रोपेगेंडा-वीडियो नहीं है. इससे पहले भी चीनी माइक्रो-ब्लॉगिंग साइज विबो पर अक्साई-चिन में चीनी सेना के हेवी-ट्रक और लाइट-टैंकों के काफिले का वीडियो जमकर वायरल किया गया था. कहा गया था कि ये सैन्य-काफिला भारत की सीमा की तरफ जा रहा है.
पिछले एक महीने से भी ज्यादा से भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख से सटी विवादित एलएसी पर फेसऑफ चल रहा है. खासतौर से पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर-एरिया, गैलवान घाटी, गोगरा और डेमचोक में स्थिति काफी गंभीर है. इसी को लेकर शनिवार को दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स ने एक मैराथन बैठक की थी, जो बेनतीजा रही थी. ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच अभी तनाव और बढ़ सकता है. लेकिन सूत्रों की मानें तो भारतीय सेना एक लंबे टकराव के लिए पूरी तरह से तैयार है.
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