कश्मीर में आतंकियों द्वारा अल्पसंख्यकों और हिंदुओं को निशाने में निशाना बनाए जाने के बाद घाटी से कश्मीरी पंडितों का विस्थापन दोबारा शुरू हुआ है और अब तक घाटी से सैकड़ों परिवार जम्मू का रुख कर चुके हैं. वहीं, कश्मीर में रह रहे बाकी कश्मीरी पंडितों से भी उनके परिवार वहां से जल्द से जल्द वापस आने की अपील कर रहे हैं. पिछले करीब 2 सप्ताह से कश्मीर घाटी में लगातार बढ़ती हिंसा और इस हिंसा में अल्पसंख्यकों और हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ी है. कश्मीर में बदले इन हालातों का असर सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडितों पर पड़ा है.


केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में चाहती है बसाना


केंद्र सरकार लगातार कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाना चाहती है लेकिन इस तरह की घटनाएं कश्मीरी पंडितों की घर वापसी पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. ऐसी घटनाओं का कश्मीरी पंडितों पर क्या असर हुआ है यह बताने से पहले हम आपको जम्मू के सबसे बड़े कश्मीरी पंडित विस्थापित कॉलोनी जगती में कई परिवार शनिवार तड़के कश्मीर से भागकर जम्मू पहुंचे. इस परिवार से एबीपी न्यूज़ ने बात करनी चाहिए लेकिन डर और खौफ के माहौल में जम्मू पहुंचा.


 यह परिवार टीवी पर बात करने से इंकार कर रहा है. लेकिन, डर और खौफ के साए से जब यह लोग जगती पहुंचे तो इस परिवार ने राहत की सांस ली. जम्मू के जगती विस्थापित कॉलोनी में करीब 45 परिवार रहते हैं और इनमें से अधिकतर परिवारों के परिजन कश्मीर में या तो पीएम पैकेज के तहत नौकरी कर रहे हैं या फिर किसी ना किसी सिलसिले में कश्मीर जाते रहते हैं. जगती कैंप में हमें एक ऐसे ही पिता मिले जिनके बच्चे कश्मीर में एक निजी कंपनी में काम कर रहे हैं. पिछले 15 दिनों से जिस तरह के हालात कश्मीर घाटी में बने हैं उन हालातों से यह पिता बेहद परेशान है और अब अपने बच्चों को वापस आने को कह रहे हैं.


आज के हालात 1990 से भी खराब


 इस बेबस पिता का कहना है कि 1990 में भी ऐसे हालात नहीं थे जो कश्मीर घाटी में अब बने हैं जब वह चुन चुन कर हिंदुओं को मारा जा रहा है. इस पिता की माने तो ना तो इन्होंने और ना ही इनके कश्मीर में रह रहे बच्चों ने पिछले कई दिनों से खाना खाया है और उन्हें लगातार अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता सताए जा रही है. एबीपी न्यूज़ को जगती में नवीन नाम के शख्स भी मिले जिनके माता-पिता कश्मीर में है. नवीन के माता-पिता व्यापार और वह अपनी संपत्ति की देखरेख करने के लिए अक्सर कश्मीर जाते हैं. लेकिन, करीब 2 महीने पहले जब वह इस बार कश्मीर पहुंचे तो उन्हें शायद ही यह बात पता थी कि कश्मीर में हालात इस कदर बदलेंगे.


नवीन के मुताबिक जो पिछले 15 दिनों में कश्मीर घाटी में हो रहा है उससे वह काफी व्यथित हैं और उनके माता-पिता और उनकी दादी अब वहां से भागकर जम्मू आना चाहते हैं. नवीन के मुताबिक उनके माता-पिता काफी बुजुर्ग हैं और वह बिना सुरक्षा के वहां से जम्मू नहीं आ सकते और अब उन्हें लगाता अपने माता-पिता की सुरक्षा की चिंता सता रही है. जम्मू के जगती विस्थापित कैंप में पिछले कई सालों से समाज सेवा कर रहे सुनील पंडिता के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से जगती कॉलोनी में कश्मीर घाटी से करीब 70 परिवार भाग कर आ गए हैं. उनकी मांने तो कश्मीर में हालत 1990 से बदतर हो गई है और इसकी जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए.


सुनील के मुताबिक, आम मुस्लिम कभी भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम नहीं दे सकता और इसके पीछे एक बड़ा षड्यंत्र है जिसके तहत कश्मीरी पंडितों को या बाहरी राज्यों के लोगों को कश्मीर में ना बसने का की साजिश रची जा रही है. वही जगती कैंप में रह रहे हैं महाराज कृष्ण के मुताबिक कश्मीर में हालात खराब करने में विपक्ष का बड़ा हाथ है. नेशनल कांफ्रेंस के सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुक्ति पर निशाना साधते हुए महाराष्ट्र मानते हैं कि जब 1990 में कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ तब किसी भी नेता ने इस तरह के बयान नहीं दिए जो बयान दिए जा रहे हैं. जगती में रह रहे कश्मीरी पंडितों की माने तो कश्मीर में इन हालातों के चलते जो विस्थापन हो रहा है वह आने वाले कई दिनों तक जारी रहेगा. और वहां रह रहे कश्मीरी पंडित जल्द से जल्द जम्मू आना चाहते हैं.


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