नई दिल्ली: तालिबान के आतंकियों के चुंगुल में फंसे भारतीय इंजीनियर्स जल्द ही अपने देश लौट आएंगे. तालिबान और अमेरिका के बीच बातचीत के बाद इनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. तालिबान और अमेरिकी प्रतिनिधियों के बीच इस्लामाबाद में एक बैठक हुई थी जिसमें तीन भारतीय इंजीनियरों की रिहाई का मुद्दा उठा था. ये इंजीनियर साल 2018 से तालिबान की कैद में हैं.
अमेरिका की तरफ से बातचीत करने वाले ज़ाल्मे ख़लीलज़ाद की तालिबान के साथ बैठक हुई थी जिसमें कैदियों की अदला-बदली की चर्चा की गई थी. जिसमें तालिबान ने तीन भारतीय इंजीनियरों के बदले अपने 11 कैदियों की रिहाई की मांग की थी. इस बैठक के बाद 11 तालिबानी कैदियों को रिहा कर दिया गया है जिनमें कुछ महत्वपूर्ण तालिबानी नेता भी शामिल हैं.
रिहा किए गए तालिबानी कैदियों की फेहरिस्त में कूनार और निमरोज प्रांत के गवर्नर के पद पर रहे अफगान तालिबान के प्रमुख नेता शेख अब्दुल रहीम और मौलवी अब्दुर राशिद का भी नाम है. इन्होंने 2001 में गर्वनर पद संभाला था. कैदियों की अदला-बदली रविवार 6 अक्टूबर, 2019 को एक अज्ञात स्थान पर की गई.
भारतीय इंजीनियरों की रिहाई की पुष्टि अफगान तालिबान कर रहा है, लेकिन अफगान सरकार अबकर इसपर कुछ नहीं कहा है.
अफगानिस्तान के उत्तरी बागलान में बने पावर प्लांट में कार्यरत सात भारतीय इंजीनियरों का मई 2018 में अपहरण कर लिया गया था. बंधकों में से एक इंजीनियर को मार्च में रिहा कर दिया गया था. सभी इंजीनियर एक मिनी बस में सवार होकर सरकारी पावर प्लांट में जा रहे थे तभी अज्ञात बंदूकधारियों ने बस ड्राइवर के साथ इन्हें अगवा कर लिया था.
अफगानिस्तान में स्थानीय तौर पर फिरौती के लिए अपहरण एक आम बात है. गरीबी और बढ़ती बेरोजगारी ने इसे और ज्यादा बढ़ावा दिया है. साल 2016 में भी एक भारतीय सहायताकर्मी का अपहरण कर लिया गया था. 40 दिन बाद उसकी रिहाई हो पाई थी.
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