मुंबई: मध्य प्रदेश में आए सियासी भूकंप के बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार कितने दिन रहेगी इस पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस के 20 से अधिक विधायकों के मध्यप्रदेश से निकलकर बेंगलुरु पहुंचने के साथ ही आपरेशन लोटस पर काम होता दिख रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी में जाने की खबरों से मध्यप्रदेश में जो राजनैतिक भूचाल आया है उसका असर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में भी महसूस किया जा रहा है.
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की महाराष्ट्र विकास आघाड़ी की सरकार है. विधानसभा चुनाव में आए नतीजों के बाद बीजेपी- शिवसेना गठबंधन टूट जाने के बाद एनसीपी के अजित पवार सहित कुछ विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देकर देवेंद्र फडणवीस सरकार बनाई थी जो महज 80 घंटे ही चल पाई. अब महाराष्ट्र विकास आघाड़ी को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं बीजेपी का एक बार फिर आपरेशन लोटस सक्रिय ना हो जाए.
मध्य प्रदेश में सियासी संकट को देखते हुए उद्धव ठाकरे सरकार अलर्ट मोड पर है. एमपी में राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए महाविकास अघाड़ी समवन्य समिति जल्द ही मीटिंग बुलाएगी. महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार कोई सियासी संकट में ना आए इसके लिए महाविकास अघाड़ी विवादित मुद्दे को आगे ढकेलने पर विचार कर रही है.
महाराष्ट्र सरकार में मुस्लिम आरक्षण, सीएए, एनआरसी जैसे कई दूसरे मुद्दे हैं जिन पर तीनों दलों में विवाद होता रहा है. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी तीनों पार्टियों के अंदर लगातार संवाद बना रहे इस पर भी समन्वय समिति में बातचीत होगी. वहीं राज्यसभा चुनाव को लेकर शरद पवार नामांकन भर रहे हैं. इस मुद्दे पर शरद पवार, एनसीपी के विधायकों और सांसदों की बैठक ले रहे हैं. संभावना है कि इस मीटिंग के दौरान भी शरद पवार मध्य प्रदेश के सियासी हलचल पर अपने नेताओं को सतर्क कर सकते हैं.
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