इनका बयान शिअद नेतृत्व के लिए राहत देने वाला है क्योंकि ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि शनिवार को ढींढसा के इस्तीफे के बाद ये नेता शिअद नेतृत्व की आलोचना करेंगे. उन्होंने शिअद महासचिव और पार्टी की कोर कमेटी से इस्तीफा दे दिया था. ढींढसा का इस्तीफा उस वक्त आया था जब धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी से जुड़े रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश में शिअद सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमला कर रही थी.
वहीं पंजाब कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने रविवार को कहा कि बादल परिवार के खराब कामों के कारण ही वरिष्ठ शिअद नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने अपने राजनीतिक करियर को कुर्बान कर दिया. उन्होंने मांग की कि पार्टी की जिम्मेदारी किसी सक्षम नेता को देकर उन्हें साहस दिखाना चाहिए.
ढींढसा ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर शनिवार को पार्टी के महासचिव पद और इसकी कोर समिति से इस्तीफा दे दिया था. जाखड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल पर पंथ के नाम पर राजनीति करने के आरोप लगाए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अपने राजनीतिक करियर के दौरान उन्होंने पंथ की पीठ में छुरा भोंका है.
पंजाब कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया करते हए कहा, "बादल ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई बार कुर्बानी देने की बात कही है लेकिन हर बार उन्होंने उन लोगों की राजनीतिक बलि चढ़ा दी जो उनके या उनके बेटे के राजनीतिक रास्ते में आए. ढींढसा का इस्तीफा इन्हीं कुर्बानियों में से एक है."