हरियाणा: कृषि विधेयक के विरोध में अकाली दल और बीजेपी में ठन गई है. मोदी सरकार में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर ने इस मुद्दे पर कल रात इस्तीफ़ा दे चुकीं हैं. लेकिन क्या बात यहीं ख़त्म होगी? या फिर बीजेपी और उसकी सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल के रास्ते अलग अलग हो जायेंगे?
हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर भी दवाब बढ़ रहा है. यहां बीजेपी और दुष्यंत की पार्टी जेजेपी की सरकार है. उनकी पार्टी को किसानों का समर्थन मिलता रहा है. अगर किसानों के लिए वे कोई बड़ा फ़ैसला करते हैं तो फिर खट्टर की सरकार ख़तरे में पड़ सकती है. क्योंकि जेजेपी के समर्थन के ऑक्सीजन से ही बीजेपी की सरकार चल रही है. दुष्यंत के लिए भी ये धर्म संकट वाली स्थिति है. वे सत्ता में बने रहें या फिर अपना बेस वोट बैंक बचायें. उनके एक फ़ैसले से सरकार की क़िस्मत बदल सकती है.
पंजाब के बादल परिवार और हरियाणा के चौटाला परिवार में एक कनेक्शन रहा है. मित्रता और भाईचारे का. दोनों परिवारों के बीच सालों से अच्छे रिश्ते रहे हैं. इसीलिए बड़ी चतुराई से अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने किसानों के मुद्दे पर इन संबंधों को खींच लाए. लोकसभा में विधेयक का विरोध करते हुए बादल ने दुष्यंत के दादा चौधरी देवीलाल को याद किया. उन्हें किसानों का रहनुमा बताया. संदेश ये कि भाई आप भी साथ आयें. लेकिन अब तक दुष्यंत की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया है. वे तेल और तेल की धार देखने के मूड में हैं
कृषि विधेयक के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन की शुरूआत हरियाणा के पीपली से हुई थी. जहां पुलिस ने किसानों पर जम कर लाठियाँ चलाई थीं. जेजेपी और दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला ने पीपली की घटना पर किसानों से माफ़ी मांगी थी. लाठीचार्ज का विरोध किया था. लेकिन बात अब तक इससे आगे नहीं बढ़ी है. पंजाब और हरियाणा में किसानों के साथ साथ आढ़ती यानी बिचौलिए इसका ज़बरदस्त विरोध कर रहे हैं. क्योंकि नए क़ानून के बाद उन्हें उनका कमीशन नहीं मिल पाएगा.
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