पांच दिन में दो हाई प्रोफाइल मर्डर के बाद जंगलराज के आरोपों से घिरी बिहार पुलिस, सवाल पर- आंकड़े गिनाने लगे डीजीपी
बिहार में इंडिगो के अधिकारी रूपेश की मर्डर की गुत्थी पुलिस अब तक सुलझा नहीं सकी है. वहीं, इस बीच हाजीपुर में वकील शशिरंजन झा की भी हत्या कर दी गई है.
पटना: बिहार में कानून व्यवस्था लगातार सवालों के घेरे में है. पांच दिन हो गए लेकिन पटना में इंडिगो के अधिकारी रूपेश की मर्डर की गुत्थी सुलझी नहीं है. 12 जनवरी की शाम को राजधानी पटना में इंडिगो एयरलाइंस के स्टेशन मैनेजर रूपेश कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी.
उस हत्याकांड में अभी पुलिस के हाथ खाली है और इस बीच हाजीपुर में वकील शशिरंजन झा की हत्या कर दी गई. उधर पुलिस अंधेरे में हांथ पांव मार रही है तो विरोधी नीतीश सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. दरअसल, बिहार के हाजीपुर में वकील शशिरंजन झा का शव कार में मिला. कार सवार वकील को बदमाशों ने नजदीक से गोली मार दी और फरार हो गए. शनिवार सुबह-महुआ-पातेपुर सड़क के किनारे कार में सील्ट बेल्ट लगाए हुए शशिरंजन की लाश मिली.
बीजेपी विधायक लखिंदर पासवान घटना स्थल पर पहुंच पुलिस पर बरसे
वो नए साल की डायरी और कैलेंडर बांटने निकले थे लेकिन शुक्रवार रात से लापता थे. सुबह उनका शव मिला तो वहां स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गई. स्थानीय बीजेपी विधायक लखिंदर पासवान भी पहुंचे और पुलिस पर बरसने लगे. वकील साथी की हत्या से बाकी वकीलों ने शहर में विरोध मार्च निकाला. ऐसा ही विरोध विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा का हुआ जो रूपेश के गांव पहुंचे थे. रूपेश के परिवार वालों से बात कर जब वो मीडिया से बात करने लगे तो गांव वालों ने उनका विरोध किया.
विरोध की आवाज विपक्ष की तरफ से भी उठी. तेजस्वी यादव ने रूपेश मर्डर केस की सीबीआई जांच को लेकर सरकार को घेरा तो बिहार पुलिस के मुखिया सीबीआई की कमजोरी गिनाने लगे. अपराध रोकने में नाकामी का आरोप झेल रही बिहार पुलिस के प्रमुख सिर्फ सीबीआई वाला बहाना नहीं बना रहे हैं. उन्होंने तो आंकड़ों के जरिए क्राइम कम होने की बात बता दी.
बिहार में साल 2020 में जनवरी से अक्टूबर तक औसतन 8.71 हत्याएं हुई
बिहार पुलिस की वेबसाइट पर दर्ज आंकड़े ही बता रहे हैं कि साल 2020 में जनवरी से अक्टूबर के बीच हर दिन औसतन 8.71 हत्याएं हुई हैं. जबकि साल 2019 में जनवरी से अक्टूबर के बीच हर दिन औसतन 8.65 हत्याएं हुई हैं. कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने पर जैसे डीजीपी पुराने अधिकारियों को लपेटे में ले रहे हैं. वैसे ही नीतीश कुमार भी सुशासन के सवाल पर 15 साल पुरानी सरकार पर ही ठीकरा फोड़ते आए हैं, चाहे वो चुनाव का मुद्दा हो या आज का हाल.
उधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक चिट्ठी के जरिए नीतीश को इसका जवाब दिया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये चिट्ठी पढ़कर सुनाई. नीतीश हर चुनाव में सुशासन का सहारा लेते हैं लेकिन पटना और हाजीपुर में हुई हत्या की ऐसी वारदातें उनके दावे को खोखला करती दिखती हैं. ऐसे में इतिहास को छोड़ वर्तमान को सुधारने पर काम हो तो विरोधियों को बोलने का मौका नहीं मिलेगा.
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