नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित तीस हजारी अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दिल्ली पुलिस ने दो हफ्ते बाद फिर काम शुरू कर दिया. हालांकि वकीलों का कार्य बहिष्कार अभी भी जारी है. अधिवक्ताओं के साथ हुई झड़प के बाद दिल्ली पुलिस ने तीस हजारी की सुरक्षा व्यवस्था का काम देखना बंद कर दिया था.


पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज ने जिला न्यायाधीश गिरीश कठपलिया को सुरक्षा स्थिति के बारे में अवगत कराया और सूचित किया कि पुलिसकर्मियों को अदालत परिसर के तीन प्रवेश द्वारों पर तैनात किया गया है. स्थिति बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर करीब 20 पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में तैनात किया गया है. प्रवेश द्वारों और हाजत क्षेत्र में तैनाती करते हुए पुलिसकर्मियों से कहा गया है कि अगर अधिवक्ताओं के साथ उनका विवाद होता है तो वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों की इसकी सूचना दें. हाजत क्षेत्र में ही अधिवक्ताओं और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प के दौरान गोलीबारी की घटना हुई थी.


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सभी छह जिला अदालतों में अधिवक्ताओं ने गुरूवार को भी तीस हजारी अदालत में हुई झड़प के विरोध में कामकाज का बहिष्कार जारी रखा. सैकड़ों अधिवक्ताओं ने साकेत अदालत के निकट सड़क पर हाथों में तख्तियां लिये मार्च किया और ‘हमें न्याय चाहिए’ के नारे लगाये. अधिवक्ताओं के मार्च के दौरान आधे घंटे के लिए यातायात को रोक दिया गया.


दिल्ली की सभी जिला अदालत बार संघों के महासचिव धीर सिंह कसाना ने कहा कि सभी जिला अदालतों के अधिवक्ता 20 नवंबर को संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करेंगे. एक समाचार एजेंसी की महिला पत्रकार को एक अधिवक्ता ने अदालत कक्ष में प्रवेश करने से रोक दिया क्योंकि उनके पहनावे से उन्हें लगा कि वह वकील है. इसके बाद दो अधिवक्ता पत्रकार के साथ अदालत कक्ष में गए ताकि वह यह सुनिश्चित कर सकें कि वह किसी मामले में पक्ष रखने तो नहीं आयी है.


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