नागरिकता कानून: पश्चिम बंगाल के बाद केरल सरकार ने भी एनपीआर का काम रोका
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने नागरिकता कानून में हुए संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देखते हुए एनपीआर के काम को रोकने का फैसला किया था.
तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने शुक्रवार को राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) से जुड़ी सभी गतिविधियों को रोकने का आदेश दिया. यह आदेश लोगों के बीच पैदा इस आशंका के मद्देनजर लिया गया कि विवादित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के बाद एनपीआर के जरिये राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू किया जाएगा.
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ)की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है क्योंकि आशंका है कि इसके जरिये एनआरसी लागू की जाएगी. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के कार्यालय ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि एनपीआर संवैधानिक मूल्यों से दूर करता है और यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचारधीन है.
राज्य की लेफ्ट सरकार की ओर से यह फैसला राज्य के विभिन्न हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के बीच किया गया है. इससे पहले पश्चिम बंगाल ने भी सीएए के खिलाफ बढ़े गुस्से के बीच एनपीआर को तैयार करने संबंधी सभी गतिविधियों को रोक दिया था.
केरल के प्रधान सचिव (आम प्रशासन) द्वारा जारी आदेश के अनुसार संशोधित नागरिकता कानून के बीच आम लोगों में एनपीआर संबंधित गतिविधियों की परिणिति एनआरसी होने की आशंका थी. इस पर गौर करते हुए राज्य सरकार ने आदेश दिया कि आगे से राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी से जुड़ी गतिविधियों की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए.
महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट के मुताबिक एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डाटाबेस बनाना है. इस डाटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी.
बता दें कि विजयन ने सीएए की आलोचना करते हुए इसे लोगों की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश करार दिया था और वह सोमवार को कांग्रेस नीत विपक्षी यूडीएफ के संयुक्त प्रदर्शन में शामिल हुए थे.