Rajiv Gandhi Assassination Case: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी एजी पेरारिवलन रिहा हो गए. पेरारिवलन राजीव गांधी हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पेरारिवलन रिहा कर दिए गए और इसके बाद उनकी मां अर्पुथम्मल ने अपने घर पर मिठाइयां बांटी. सुप्रीम कोर्ट ने आज उनकी रिहाई का आदेश दिया. पेरारिवलन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 7 दोषियों में से एक हैं. पेरारिवलन के परिवार के सदस्यों ने मिठाई बांटकर और एक-दूसरे को गले लगाकर उनकी रिहाई के आदेश का जश्न मनाया. उनका परिवार शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद बहुत भावुक हो गया था. पेरारिवलन बीमार पिता की देखरेख के लिए इस समय जमानत पर रिहा हैं.
सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को रिहाई के आदेश के बाद पेरारिवलन का परिवार भावुक हो गया. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पेरारिवलन, उनकी मां अर्पुथम्मल, पिता कुइलदासन और उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की आंखों में आंसू आ गए. शीर्ष न्यायालय ने एक दुर्लभ मामले में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी एक्स्ट्राऑर्डिनरी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया. पेरारिवलन पिछले 30 से अधिक सालों से उम्र कैद की सजा भुगत रहा था.
30 सालों से जेल में बंद हैं राजीव गांधी के हत्यारे
वहीं राजीव गांधी हत्याकांड के अन्य दोषियों की बात करें तो नलिनी, श्रीहरन उर्फ मुरुगन (नलिनी का पति), रॉबर्ट पायस, ए.जी. पेरारिवलन उर्फ अरिवु, रविचंद्रन उर्फ रवि, एस. जयकुमार उर्फ जयकुमारन और टी. सुतेद्रराजा उर्फ संथान पिछले 30 सालों से अधिक समय से जेल में बंद आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. इनमें से संथान, मुरुगन, पायस और जयकुमार श्रीलंकाई तमिल हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत किसी मामले में माफी देने का अधिकार विशिष्ट रूप से राष्ट्रपति के पास है. पीठ ने कहा कि यह अनुच्छेद 161 (क्षमादान देने की राज्यपाल की शक्ति) को निष्प्रभावी कर देगा. पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि हत्या के मामलों में दोषियों द्वारा अनुच्छेद 161 के तहत दी गई क्षमादान की याचिका के मामले में राज्यों के पास राज्यपाल को सलाह देने और सहायता करने की शक्ति है.
1991 में आत्मघाती हमले में हुई थी राजीव गांधी की हत्या
तमिलनाडु के श्रीपेरंम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट में उड़ा लिया था, जिसमें राजीव गांधी मारे गए थे. हमलावर महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी. इस मामले में धनु समेत 14 अन्य लोग भी मारे गए थे. गांधी की हत्या देश में संभवत: पहला ऐसा मामला था, जिसमें आत्मघाती हमलावर ने एक बड़े नेता की जान ली थी.
सोनिया गांधी की अपील पर टली फांसी की सजा
न्यायालय ने मई 1999 के अपने आदेश में चारों दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी. तमिलनाडु के राज्यपाल ने अप्रैल 2000 में राज्य सरकार की सिफारिश और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व राजीव गांधी की विधवा सोनिया गांधी की अपील के आधार पर नलिनी की मौत की सजा को कम कर दिया था. शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था. न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय किया था.
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