Uday Mahurkar Case: इमामों को दिए जाने वाले वेतन के मामले पर घिरे सूचना आयुक्त उदय माहुरकर के लिए राहत भरी खबर है. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने सूचना आयुक्त उदय माहुरकर पर अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया है. एक वकील ने माहुरकर के एक आदेश का हवाला देते हुए इजाज़त मांगी थी.
माहुरकर ने एक आदेश में साल 1993 में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को संविधान के खिलाफ बताया था. जिस फैसले पर माहुरकर ने टिप्पणी की थी, उसमें सुप्रीम कोर्ट ने मस्ज़िद के इमामों को सरकारी वेतन दिए जाने को सही ठहराया था. अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि सूचना आयुक्त के आदेश के खिलाफ अपील का विकल्प उपलब्ध है.
क्या है मामला?
दरअसल, सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने एक आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से दाखिल आवेदन पर सुनवाई करते हुए इमामों के वेतन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को असंवैधानिक बताया था. उन्होंने कहा था कि इनकम टैक्स देने वाले लोगों का पैसा किसी एक धर्म को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता. उन्होंने अपने आदेश में कहा था कि 13 मई,1993 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मस्जिदों के इमाम को सरकारी खजाने से वित्तीय लाभ पहुंचाने की राह खोल दी.
आयोग का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन था. सिर्फ मस्जिदों के इमामों और अन्य लोगों को पारिश्रमिक देना, न केवल हिंदू समुदाय और अन्य गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक धर्मों के सदस्यों के साथ विश्वासघात है.
इसलिए अटॉर्नी जनरल के पास पहुंचा मामला
इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील ने भारत के अटॉर्नी जनरल, आर वेंकटरमणि को एक पत्र लिखकर सूचना आयुक्त उदय माहुरकर के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल की सहमति मांगी थी. वकील ने दावा किया था कि उदय माहुरकर ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट की ऑथोरिटी को कम किया है.
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