(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
धारा 377 के खिलाफ जिन SC वकीलों ने लड़ी थी लड़ाई, उन्होंने बताया- वो है 'लेस्बियन कपल'
धारा 377 के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़कर कामयाबी हासिल करने वालीं, सुप्रीम कोर्ट की वकील मेनका गुरुस्वामी और अरुंधति काटजू ने एक इंटरव्यू में अपने 'लेस्बियन कपल' होने के बारे में बताया. इन दोनों को सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने बधाई दी है.
नई दिल्ली: इस साल की शुरुआत में टाइम मैग्जीन ने दो भारतीय महिला वकीलों- मेनका गुरुस्वामी और अरुंधति काटजू को 2019 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था. इन दोनों ने धारा 377 (Section 377) के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी. अब दोनों ने इस इस बात का खुलासा किया है ये दोनों कपल हैं. 18 जुलाई मेनका गुरुस्वामी और अरुंधति काटजू ने सीएनएन के फरीद जकारिया को दिए इंटरव्यू में अपने लेस्बियन होने के बारे में बताया.
Most court days you'll find me in a sari! Something about the 6 yards makes me sit up a little straighter, collect my thoughts and energy for arguments... #SareeTwitter pic.twitter.com/U9HDEyT70C
— arundhatikatju (@arundhatikatju) July 18, 2019
I do not know whether this is the first video, where both of you (@MenakaGuruswamy and @arundhatikatju) are coming out loud and proud as partners. I must say "Congrats". Personal is indeed political. 👏🏾🏳️🌈 https://t.co/2gnkrCYHkX
— John Samuel 🏳️🌈 (@jsamwrites) July 18, 2019
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि धारा 377 के खिलाफ उनकी लड़ाई सिर्फ वकील के रूप में नहीं बल्कि एक कपल के रूप में थी. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को लेकर 157 साल पुराने कानून को बरकरार रखा था. जिसे लेकर मेनका गुरुस्वामी ने कहा, "ये सिर्फ एक वकील नहीं बल्कि एक इंसान के रूप में बड़ा नुकसान था. यह एक औपनिवेशिक युग का कानून था, लेकिन औपनिवेशिक युग के कानून को आज के वक्त में भी जारी रखना सही नहीं है."
गुरुस्वामी ने इंटरव्यू के दौरान मेनका ने कहा, "सभी उप-औपनिवेशिक देशों में, मुझे लगता है कि हमारी सरकारों को यह समझना होगा कि ये हमारे कानून नहीं हैं, ये हमारी संस्कृतियां नहीं थीं. और हमें यह समझना होगा कि क्यों हम कानून में सुधार लाने और स्वतंत्रता का विस्तार करने में सक्रिय नहीं रहे हैं."
इन दोनों ने बताया कि श्रीलंका और मलेशिया के कार्यकर्ता भी अब देख रहे हैं कि कैसे इस फैसले का इस्तेमाल अपने देशों में समलैंगिकता विरोधी कानूनों को पलटने के लिए किया जा सकता है. सोशल मीडिया पर इन दोनों वकीलों को काफी लोगों ने शुभकानाएं दी हैं.
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