3 KM लंबाई, हरक्यूलिस से लेकर बी-17 भरेंगे उड़ान... मॉरिशस का साथ और अगालेगा एयरस्ट्रिप, समंदर के आसमान में दहाड़ेगा भारत
Indian Ocean: अगालेगा हवाई पट्टी और जेटी से भारत की समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा भारत एयरस्ट्रिप और जेटी का इस्तेमाल अपने पी-8आई जैसे सबमरीन हंटर विमानों को उतारने के लिए कर सकेगा.
India in Indian Ocean: भारत ने हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दबदबे को टक्कर देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इसी कड़ी में भारत ने अपने समुद्री विस्तार की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है. गुरुवार (29 फरवरी, 2024) को दोपहर 1 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनौथ ने बहुप्रतीक्षित अगालेगा हवाई पट्टी और एक जेटी का शुभारंभ किया. यह एक युद्धपोत को डॉक कर सकता है.
अगालेगा हवाई पट्टी और जेटी से मॉरीशस और भारत दोनों को फायदा होगा. अगर भारत के लिहाज से देखें तो इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा भारत एयरस्ट्रिप और जेटी का इस्तेमाल अपने पी-8आई जैसे सबमरीन हंटर विमानों को उतारने के लिए कर सकेगा. इसके अलावा भारतीय नौसेना युद्धपोत भी वहां आसानी से जा सकेंगे. यहां आपको बता दें कि जेटी का मतलब समुद्र तट पर बने उस स्थान से है जहां से जहाज़ों पर माल लादा और उतारा जाता है.
क्या है इस हवाई पट्टी में खास?
इस पर बने हवाई पट्टी की लंबाई 3 किमी है और यह भारी-लिफ्ट सी-17, मध्यम-लिफ्ट आईएल-76 और सी-130 हरक्यूलिस और बोइंग पी-8आई निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्ध को भी संभाल सकती है.
#WATCH | PM Modi says, " ...In the past 10 years, India-Mauritius ties have got unprecedented direction. We achieved new highs in this relationship. We gave a new form to scientific and historical connections...development partnership has been the key pillar of our… pic.twitter.com/c3u3wwoFcD
— ANI (@ANI) February 29, 2024
इसलिए महत्वपूर्ण है यह प्रोजेक्ट
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत के इस कदम को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि ओमान और मॉरीशस में सहायता सुविधाएं स्थापित करने का निर्णय हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती गतिविधियों के बीच आया है. चीनी नौसेना के कैरियर स्ट्राइक फोर्स के 2025-26 तक आईओआर पर गश्त करने की खबर है.
इसके अलावा चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति को लेकर भी राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों के बीच चिंता बढ़ रही है. साउथ ब्लॉक के डेटा से पता चलता है कि आईओआर में चीनी जहाजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. निगरानी, रिसर्च और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज नियमित रूप से इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. इसमें पीएलए नौसेना के जहाजों, सैलेटलाइट ट्रैकिंग जहाजों और वैज्ञानिक रिसर्च जहाजों की हालिया तैनाती शामिल है, जो हिंद महासागर में चीन की निरंतर रुचि को उजागर करती है.
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