जम्मू एयरफोर्स बेस पर हमले में इस्तेमाल ड्रोन का रूट तलाश रही एजेंसियां, जानें इस हमले से जुड़ी 10 बड़ी बातें
जम्मू वायु सेना स्टेशन हमले के मामले को आधिकारिक तौर पर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है. अब इस मामले की पूरी तहकीकात नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी करेगी.
नई दिल्ली: जम्मू के एयरफोर्स बेस पर ड्रोन हमले के बाद से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गयीं हैं. एयरफोर्स बेस पर हमले की जांच एनआई को सौंप दी गयी हैं. वहीं जम्मू में एक बार एक लगातार ड्रोन का दिखना सामने आ रहा है. जानकारी के मुताबिक कल देर सात भी सुंजवान मिलिट्री ब्रिगेट के ऊपर एक ड्रोन नजर आया. इन ड्रोन पर भी लगातार नजर रखी जा रही.
दस बड़ी बातों के जरिए आपको बताते हैं कि अब क्या क्या हुआ?
1. गृह मंत्रालय ने एनआईए को इस मामले की जांच सौंप दी है. एनआईए ने जांच शुरू भी कर दी है और जम्मू कश्मीर पुलिस से इस केस में अभी तक हुई जांच के सभी दस्तावेज तलब किए हैं. एनआईए बहुत जल्द मामला दर्ज कर जांच को आगे बढ़ाएगी.
2. एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से पता चला है कि हमले में हाई ग्रेड एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ है. यह RDX या TNT हो सकता है. जांच में पता चला है कि हमले में इस्तेमाल ड्रोन को सीमा पार से ऑपरेट किया जा रहा था. एयरफोर्स स्टेशन को गूगल अर्थ पर देखा जा सकता है, इसलिए इलाके की रेकी करने का भी कोई मलतब नहीं है.
3. जानकारी के मुताबिक आतंकियों के निशाने पर सिर्फ एयरफोर्स स्टेशन ही नहीं था, बल्कि 26-27 जून की रात को कालूचक मिलिट्री एरिया में भी दो संदिग्ध ड्रोन देखे गए थे. दोनों ड्रोन अलग अलग जगहों पर देखे गए. जवानों ने इन्हें गिराने के लिए गोली भी चलाए लेकिन यह अंधेरे का फायदा उठाकर गायब हो गए. रक्षा प्रवक्ता के मुताबिक अगर जवानों ने मुस्तैदी नहीं दिखायी होती तो आतंकी एक और हमला करने में सफल हो जाते.
4. बीती रात सुंजवान मिलिट्री ब्रिगेड में रात 3.00 से 3.30 के बीच इस ड्रोन को देखा गया है. बीते 24 घंटे में जम्मू कश्मीर में मिलिट्री स्टेशन के आसपास ड्रोन देखे जाने की यह दूसरी घटना है. इससे पहले सोमवार को कालूचक मिलट्री स्टेशन पर भी ड्रोन नजर आए थे. इन ड्रोन पर सुरक्षाबलों ने फायरिंग की थी, जिसके बाद यह अंधेरे में वापस लौट गए. जानकारी के मुताबिक सुंजवान मिलिट्री ब्रिगेड पर दिखे ड्रोन काफी ऊंचाई पर उड़ रहा था. एक सफेद रंग की रोशनी नजर आ रही थी, जो लगातार आगे बढ़ रही थी.
5. टीमें अभी भी यह सुराग खंगाल रही हैं कि बम गिराने के लिए ड्रोन ने किस मार्ग का उपयोग किया. अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन ने विस्फोटक सामग्री गिराई और रात के दौरान या तो सीमा पार या किसी अन्य स्थान चले गए. जम्मू हवाई अड्डे और अंतरराष्ट्रीय सीमा के बीच हवाई दूरी 14 किलोमीटर है.
6. जांचकर्ताओं ने हवाई अड्डे की चारदीवारी पर लगे कैमरों सहित सीसीटीवी फुटेज खंगाली है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ड्रोन कहां से आए थे? हालांकि सभी सीसीटीवी कैमरे सड़क किनारे लगे थे. श्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीमावर्ती इलाकों में तैनात रडार द्वारा ड्रोन का पता नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने संकेत दिया कि एक अलग रडार प्रणाली लगायी जा सकती है जो एक पक्षी के रूप में छोटे ड्रोन का भी पता लगा सकती है.
7. अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को 2019 में रद्द किये जाने के बाद से पाकिस्तान से लगी संवेदनशील सीमा पर 300 से अधिक ड्रोन और अज्ञात उड़न वस्तुएं (यूएवी) देखी गई हैं. केंद्रीय एजेंसियों ने यह दावा किया है. बीएसएफ और विभिन्न पुलिस इकाइयों की सीमावर्ती इकाइयों ने 3,323 किमी लंबी सीमा पर ड्रोन, अज्ञात उड़न वस्तुएं या दूर से संचालित वायुयान हवा में दिखने पर ‘देखो और मार गिराओ’ की एक मानक संचालन प्रक्रिया अपना रखी है.
8. पठानकोट एयरबेस में रविवार को जम्मू में वायुसेना स्टेशन पर दो विस्फोट होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि पठानकोट और गुरदासपुर के सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पठानकोट में विशेष रूप से वायुसेना के अड्डे के पास, जहां 2 जनवरी 2016 को आतंकवादी हमला हुआ था. साथ ही, भारतीय सेना के ममून छावनी के पास भी सुरक्षा बढ़ाई है.
9. जम्मू में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) की बरामदगी से एक बड़ा आतंकी हमला होते-होते टल गया. पुलिस ने कहा कि रविवार को जम्मू पुलिस ने 5/6 किलो वजन का एक आईईडी बरामद किया है. पुलिस के मुताबिक, इस आईईडी को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ही किसी भीड़-भाड़ वाले इलाके में लगाया था. पुलिस ने कहा कि संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है और असफल आईईडी विस्फोट के प्रयास में और लोगों के पकड़े जाने की संभावना है.
10. जम्मू-कश्मीर के पारिमपोरा इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए जिनमें से एक लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर नदीम अबरार था और दूसरा आतंकवादी पाकिस्तान का नागरिक था. अबरार हत्या के कई मामलों में शामिल था और उसे सोमवार को पारिमपोरा में वाहनों की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था. अबरार ने पूछताछ में बताया कि उसने मलूरा में एक जगह एके-47 राइफल छुपाई है, जहां पहुंचने पर मकान के भीतर छिपे उसके पाकिस्तानी साथी ने गोलीबारी की. मुठभेड़ में अबरार तथा पाकिस्तानी आतंकवादी मारा गया.
ये भी पढ़ें
जम्मू: बीती रात एक बार फिर दिखा ड्रोन, सुंजवान मिलिट्री ब्रिगेड के ऊपर लगाया चक्कर