Agnipath Scheme Controversy: सेना में भर्ती से जुड़ी अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) को लेकर देशभर में हिंसक प्रदर्शन जारी है. केंद्र सरकार की इन नई योजना के खिलाफ सबसे अधिक हिंसा बिहार (Bihar) में देखने को मिल रहा है. बिहार में हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए 12 जिलों में 48 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है. कई राज्यों में युवा सड़कों पर निकलकर इस योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके बाद अब केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने इस योजना को लेकर बड़ा ऐलान किया है. गृह मंत्रालय ने अब केंद्रीय आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) और असम राइफल्स की भर्ती में अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है. 


सेना (Army) में भर्ती को लेकर सरकार की नई नीति के खिलाफ कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन का दौर जारी है. जगह-जगह से तोड़फोड़ और आगजनी की खबरें सामने आ रही हैं. जिसके बाद अब सरकार ने अपनी इस नई योजना में कुछ बदलाव करने का ऐलान किया है. अग्निपथ योजना को लेकर सरकार ने जो नए ऐलान किए हैं उसके मुताबिक, अब अग्निवीरों को केंद्रीय आर्म्ड पुलिस फोर्स समेत असम राइफल्स की भर्ती में 10 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा अग्निवीरों को अधिकतम आयु सीमा में तीन साल की छूट भी दी जाएगी. वहीं सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत भर्ती के लिए अग्निवीरों के पहले बैच को अधिकतम आयु सीमा में पांच साल की छूट देने का भी ऐलान किया है. 


अग्निवीरों को मिलेगा सस्ता लोन


वहीं अग्निपथ योजना को लेकर देशभर में मचे बावल के बीच केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की ओर से अग्निवीरों को सस्ते दरों पर कर्ज की सुविधा दिए जाने का ऐलान किया गया है. रक्षा मंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक ट्वीट में बताया गया है कि, जो नौजवान चार साल सेना की सेवा करने के बाद बाहर निकलेंगे उन्हें आजीवन अग्निवीर के रूप में जाना जाएगा. यदि अग्निवीर (Agniveer) कोई काम करना चाहेंगे तो उन्हें सस्ती दर पर कर्ज की भी सुविधा प्रदान की जाएगी.   


पहले अग्निपथ योजना को लेकर की गयी थी ये घोषणा


केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का ऐलान किया था. जिसके तहत चार साल के लिए सेना में अग्निवीरों की भर्ती की जानी है. इनमें से 25 फीसदी अग्निवीरों को सेना में स्थाई काडर में भर्ती कर दिया जाएगा. योजना के मुताबिक, चार साल की सेवान पूरी करने के बाद 75 फीसदी अग्निविरों को सेवा निधि देकर सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा. 


वहीं इस योजना के तहत उम्मीदवारों की आयु अभी तक साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल तक निर्धारित की गई थी. सेना में भर्ती के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यता 12वीं पास ही रखी गई है. उम्मीदवारों के चयन के बाद 4 साल तक अग्निवीर के तौर पर सेना में अपनी सेवाएं दें सकेंगे. इस योजना के तहत हर साल 45 हजार युवाओं को सेना में भर्ती करा जाएगा. अग्निवीरों को 30 हजार से 40 हजार महीना सैलरी समेत अन्य फायदे दिए जाएंगे. चार साल बाद जो अग्निवीर बाहर होंगे उन्हें सेना निधि पैकेज के तहत टैक्स फ्री करीब 12 लाख रुपये एकमुश्त दिए जाएंगे.


युवाओं की क्या है मांग?


देशभर में सेना में भर्ती को लेकर सरकार की नई नीति का जबरदस्त विरोध हो रहा है. दरअसल, युवा वर्ग सरकार की इस नीति से खुश नहीं दिखाई दे रहा. युवाओं की मांग है कि सेना में चार साल की सेवा में ट्रेनिंग और छुट्टियां मिला दें तो सर्विस केवल तीन साल की रह जाती है. ऐसे में हम देश की रक्षा कैसे करेंगे? वहीं कुछ युवाओं का मानना है कि, सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी कम से कम 10-12 साल की सर्विस होती है. लेकिन इस योजना के तहत चार साल बाद 75 फीसदी अग्रिवीरों को सेना से बाहर कर दिया जाएगा. युवाओं का कहना है कि चार साल बाद वे कहां जाएंगे. विरोध प्रदर्शन कर रहे युवाओं की दलील है कि साढ़े 17 साल की उम्र में अग्रिनवीर बनने वाले युवाओं के पास न तो कोई प्रोफेशनल डिग्री होगी और न ही कोई विशेष योग्यता. ऐसी स्थिति में अग्निवीर सेवा से बाहर होने के बाद छोटी-मोटी नौकरी करने पर बाध्य होगा. प्रदर्शनकारी युवाओं की मांग है कि सरकार तुरंत प्रभाव से इस योजना को वापस ले. साथ ही सरकार लंबे समय से सेना में बंद पड़ी भर्ती को दोबारा से खोले. इसके अलावा पुरानी लटकी भर्तियों को भी जल्द से जल्द क्लियर किया जाए. 


क्या कृषि कानून की तरह वापस होगी अग्निपथ योजना?


मौजूदा समय में अग्निपथ योजना को लेकर देश का युवा वर्ग जिस कदर आक्रोशित नजर आ रहा है. उसे देखते हुए निश्तिच ही सरकार पर इस योजना को लागू करने से रोकना का दबाव बन रहा है. देशभर में इस योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है. सबसे अधिक नुकसान रेलवे को पहुंचा है. वहीं, इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन को देखते हुए सवाल उठने लगे हैं कि क्या अग्निपथ योजना को लेकर सरकार ने तीन कृषि कानूनों (Agricultural Laws) की भांति गलत कदम तो नहीं उठा लिया है. क्योंकि सरकार जिस समय तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आई थी, उस समय इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव के रूप में पेश किया गया था. लेकिन सरकार की घोषणा के एक साल बाद तक देश का किसान सड़कों पर आंदोलन करता रहा. आखिर हारकर सरकार को एक साल बाद तीन कृषि कानूनों को वापस लेना ही पड़ा. अग्निपथ योजना को लेकर कुछ ऐसे ही हालात देश में इस समय दिखाई दे रहे हैं. सरकार इन नई नीति को सेना में एक बड़े रिफॉर्म के तौर पर देख रही है. वहीं युवा सरकार की इस नीति के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है. 


 



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