Agniveer Ajay Singh: एक कमरे का मकान, घर चलाने के लिए मां करती हैं मेड का काम... राजौरी में शहीद अग्निवीर की कहानी सुन नम हो जाएंगी आंखें
Agniveer Ajay Singh News: राजौरी में शहीद हुए अग्निवीर अजय सिंह की 6 बहनें हैं. अजय की मां दो वक्त के खाने के लिए आसपास के घरों में मेड का काम करती हैं. पिता बीमार हैं, इसलिए मजदूरी छोड़ चुके हैं.
Agniveer Ajay Singh Family: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में नियंत्रण रेखा के पास एक बारूदी सुरंग विस्फोट में जान गंवाने वाले अग्निवीर अजय सिंह (23) के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. अजय सिंह पंजाब के लुधियाना जिले के पायल डिवीजन के रामगढ़ सरदारन गांव के रहने वाले थे. वह काफी गरीब अनुसूचित जाति (एससी) परिवार से ताल्लुक रखते थे.
अजय सिंह के पिता चरणजीत सिंह काला दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने कुछ साल पहले ही काम छोड़ दिया था. अजय सिंह की मां लक्ष्मी उर्फ मंजीत कौर परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए मेड का काम करती हैं. अजय 6 बहनों के इकलौते भाई थे, जिनमें से दो बहनें अविवाहित हैं. अजय का परिवार एक कमरे के घर में रहता है. इनके पास कोई कृषि भूमि भी नहीं है.
'मैं बीमार पड़ा तो पत्नी ने शुरू किया काम'
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अजय के पिता चरणजीत सिंह काला (58) ने कहा, "उनके बेटे का बलिदान उस सम्मान और प्रतिष्ठा का हकदार है जो देश के लिए जान देने वाले अन्य सैनिकों को दिया जाता है." उन्होंने कहा कि, "परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि 2022 में अजय के अग्निवीर बनने के बाद भी उसकी मां घर चलाने के लिए दूसरों के घरों में मेड के रूप में काम कर रही हैं." वह कहते हैं “मैंने जीवन भर एक मजदूर के लिए काम किया. जब मैं बीमार रहने लगा, तो अजय की मां ने दूसरों के घरों में खाना बनाने और साफ-सफाई का काम करना शुरू कर दिया, ताकि हमें दो वक्त का खाना मिल सके.”
'कर्ज लेकर की थी बेटियों की शादी'
वह कहते हैं कि "घर की मजबूरियों और अपने सपने की वजह से अजय ने सेना में शामिल होने का फैसला किया था. वह जानता था कि अग्निवीरों को अन्य सैनिकों की तरह लाभ नहीं मिलेगा लेकिन फिर भी वह इसमें शामिल हुआ ताकि परिवार की स्थिति में सुधार हो सके. मैंने अपनी चार बेटियों की शादी के लिए कुछ कर्ज भी लिया था, जिसे अभी चुकाना बाकी है."
'अब केंद्र और राज्य सरकार से है उम्मीद'
उन्होंने बताया कि "परिवार ने अजय से आखिरी बार गुरुवार को बात की थी. तब उसने फरवरी में छुट्टी पर आने की बात कही थी." अजय के चाचा बलविंदर सिंह ने कहा कि "अगर केंद्र सरकार उनके परिवार के लिए कुछ मदद नहीं करेगी तो यह परिवार के साथ बड़ा अन्याय होगा, क्योंकि परिवार ने देश के लिए अपना इकलौता बेटा खो दिया है. हमें उम्मीद है कि पंजाब सरकार अपनी नीति के अनुसार परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा देगी और केंद्र भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा और मृत अग्निवीरों के परिवारों को उचित लाभ देगा.“
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