Farmers Protest Not Yet End: कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान अब आंदोलन पार्ट-2 की तैयारी में जुट गए हैं. आंदोलन से जुड़े किसान एक बार फिर दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. कल यानि 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल पूरे हो रहे हैं. उससे पहले आज दिल्ली के तमाम बॉर्डर्स पर किसानों का जुटना शुरू हो गया है. हालांकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयक पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध है.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा और आगे की रूपरेखा 27 नवंबर को तय की जाएगी. टिकैत ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के केंद्र सरकार के दावों को लेकर भी प्रदर्शनकारी उससे सवाल करेंगे. टिकैत ने ट्वीट किया, 'ये आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा. 27 नवंबर को हमारी बैठक है जिसके बाद हम आगे के निर्णय लेंगे. मोदी जी ने कहा है कि एक जनवरी से किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी तो हम पूछेंगे कि कैसे दोगुनी होगी. किसानों की जीत तब होगी जब उन्हें अपनी फसलों के उचित दाम मिलेंगे.' हालांकि, राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के प्रतिनिधि और किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी को 'बड़ा दिन' करार दिया और कहा कि इससे सरकार का रुख ‘ आधिकारिक’ हो गया है.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तत्वावधान में किसान पिछले साल संसद द्वारा पारित तीन कानूनों को निरस्त करने और सभी फसलों के लिए एमएसपी को वैध बनाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इस समय सरकार चावल और गेहूं को प्रमुख रूप से एमएसपी प्रदान करती है, भले ही सूची में 21 अन्य फसलें भी हैं. आंदोलनकारी किसानों की मांग है कि सरकार को एमएसपी को कानूनी दर्जा देना चाहिए जिसमें किसान से खरीदारी करने वाला निजी व्यापारी भी हो, तो उपज को एमएसपी या उससे अधिक के बराबर दर मिलती है. किसान को एमएसपी से नीचे भुगतान करने वाले को कानूनी सजा दी जाएगी.
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