Agriculture Bill: कांग्रेस ने कहा- ये बिल किसानों का डेथ वारंट, कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देना चाहती है सरकार
प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैंकृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दोनों विधेयक ऐतिहासिक हैं और इनसे किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.
नई दिल्ली: लोकसभा से पास हो चुके तीनों कृषि विधेयक आज राज्यसभा में पेश किए गए. इस दौरान सदन में खूब हंगामा हुआ. कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है और ये बिल किसानों का डेथ वारंट है. राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि मोदी सरकार कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देना चाहती है.
प्रताप सिंह बाजवा ने क्या-क्या कहा?
प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, ‘’ये बिल हैं उन्हें कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से रिजेक्ट करती है. ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है. हम किसानों के इन डेथ वारंटों पर साइन करने के लिए किसी भी हाल में तैयार नहीं हैं.’’
ये जो बिल हैं उन्हें कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से रिजेक्ट करती है। ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है। हम किसानों के इन डेथ वारंटों पर साइन करने के लिए किसी भी हाल में तैयार नहीं : राज्यसभा में कृषि विधेयकों पर कांग्रेस MP pic.twitter.com/fxEAEJ3a7e
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 20, 2020
कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कार्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आयी है. हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं.
दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट- बाजवा
राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं और गलत समय पर पेश किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है. उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी?
बिल किसानों के पक्ष में तो BJP की सहयोगी अकाली दल क्यों कर रही विरोध- बाजवा
बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है. उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं. बाजवा ने सवाल किया कि अगर सरकार के कदम किसानों के पक्ष में हैं तो बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल क्यों इसका विरोध कर रही है?
कांग्रेस नेता ने 2015 की शांता कुमार समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को हो रहे घाटे को दूर करने के लिए सरकार कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के नए कदम से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान होगा.
बिल से किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा- कृषि मंत्री
इससे पहले कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को चर्चा एवं पारित करने के लिए सदन में पेश किया. तोमर ने कहा कि दोनों विधेयक ऐतिहासिक हैं और इनसे किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.