Narendra Singh Tomar: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने धान की पराली (Parali) जलाने के प्रबंधन के लिए राज्यों की तैयारियों की उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में कृषि मंत्री ने पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पराली जलाने की घटना को परी तरह से रोका जाए. उन्होंने कहा कि केंद्र से भेजे गए 9 हजार करोड़ रुपयों का पूरा इस्तेमाल किया जाए.
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस मामले में राज्यों की सफलता तभी है जब पराली जलाने के मामले शून्य हो जाएं. उन्होंने कहा कि केंद्र इस मामले में चिंतित है और फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष में भारत सरकार ने राज्यों को 600 करोड़ रुपये जारी किए हैं. इसके अलावा राज्यों को पिछले 4 सालों के दौरान 2.07 लाख मशीनें दी गई हैं. इनका प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
पराली जलाने से किसानों को भी नुकसान
यूपी, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के शीर्ष अधिकारियों से वर्चुअल बैठक में समीक्षा करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एक निश्चित लक्ष्य अवधि में फसल अवशेष जलाने की समस्या से मुक्ति मिल सकें. उन्होंने कहा कि राज्यों को गंभीरता से यह सोचना चाहिए कि इस समस्या का त्वरित गति से समाधान कैसे किया जा सकता है. तोमर ने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है, किसानों के खेतों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे अंततः किसान, राज्य व देश को भी नुकसान होता है.
‘बायो-डीकंपोजर पराली की समस्या के लिए महत्वपूर्ण’
कृषि मंत्री (Agriculture Minister) नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि पूसा संस्थान द्वारा तैयार बायो-डीकंपोजर (Bio-Decomposer), पराली (Parali) की समस्या के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण है, जो सस्ता भी है, इसके अधिकाधिक उपयोग पर जोर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि साथ ही किसानों (Farmers) को ऐसे खेतों पर ले जाकर पूसा संस्थान की इस पद्धति का अवलोकन कराया जाना चाहिए ताकि उन्हें पता चलें कि इसका किस तरह से फायदा हो रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें वेस्ट को वैल्थ में बदलने की कोशिश करना चाहिए.
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