Farmers Protest: एक साल से अधिक समय से जारी किसानों का आंदोलन स्थगित हो चुका है. इस बीच राज्यसभा में दिए एक लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई में किसी किसान की जान नहीं गई है. उन्होंने मुआवजा देने के सवाल पर कहा कि "किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे आदि का विषय संबंधित राज्य सरकारों के पास है." सरकार से कांग्रेस नेता धीरज प्रसाद साहू और आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने सवाल पूछे थे. दोनों सांसदों ने पूछा था कि क्या सरकार किसानों के विरोध के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को आजीविका या आर्थिक क्षतिपूर्ति प्रदान करने की योजना बना रही है या इसके लिए कोई प्रावधान किया है.
बता दें कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए विपक्षी दल और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) लगातार मुआवजा देने की मांग कर रहा है. किसान संगठनों का दावा है कि आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई है. इस बीच सरकार ने कहा है कि किसी भी किसान की पुलिस कार्रवाई में मौत नहीं हुई है.
किसान संगठनों ने गुरुवार को सरकार की तरफ से लिखित प्रस्ताव मिलने के बाद आंदोलन स्थगित करने का एलान किया था. इस दौरान किसान संगठनों ने कहा था दिल्ली की सीमाओं से किसान 11 दिसंबर को वापस लौटेंगे. किसान नेताओं ने कहा है कि वे यह देखने के लिए 15 जनवरी को फिर से बैठक करेंगे कि सरकार ने उनकी मांगें पूरी की है, नहीं.
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सरकार ने प्रस्ताव में क्या कहा है?
केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को एक औपचारिक पत्र भेज कर उसकी लंबित मांगों को स्वीकार करने की सहमति जताई. पत्र में किसानों की पांच मुख्य मांगों का जिक्र किया गया है, जो पिछले महीने संसद में तीन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने के बाद लंबित हैं.
इसमें यह जिक्र किया गया है कि प्रधानमंत्री ने और बाद में केंद्रीय कृषि मंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक समिति गठित करने की घोषणा की, जिसमें केंद्र व राज्य सरकारों के अधिकारी सदस्य होंगे तथा किसान संघों के प्रतिनिधि एवं कृषि वैज्ञानिक भी होंगे.
पत्र में कहा गया है, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि इस समिति में एसकेएम के भी सदस्य होंगे...देश में एमएसपी पर फसलों की खरीद पर यथास्थिति कायम रखी जाएगी. ’’ पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सरकारें तत्काल प्रभाव से किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने को राजी हो गई है.
पत्र में कहा गया है कि केंद्र ने किसानों को यह सूचित किया है कि हरियाणा और उप्र सरकारों ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजन को मुआवजा मुहैया करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.
इसने यह भी स्पष्ट किया है कि विद्युत संशोधन विधेयक संसद में तब तक पेश नहीं किया जाएगा, तब तक कि सरकार किसानों पर प्रभाव डालने वाले प्रावधानों पर एसकेएम व अन्य हितधारकों के साथ बातचीत नहीं कर लेती है. केंद्र ने पत्र में कहा है कि पराली जलाने को पहले ही अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है.
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