किसानों के 'दिल्ली कूच' के बीच केंद्र सरकार ने दिया MSP पर भरोसा, शिवराज चौहान बोले- 'ये मोदी की गारंटी'
Shivraj Singh chouhan assures MSP: कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने राज्यसभा में भरोसा दिया कि मोदी सरकार सभी कृषि उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेगी.
किसानों के विरोध और उनके बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर मार्च करने के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार (6 दिसंबर 2024) को राज्यसभा में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार सभी कृषि उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेगी.
उन्होंने यह आश्वासन प्रश्नकाल के दौरान किसानों के एमएसपी के मुद्दे पर पूरक सवालों के जवाब में दिया. इस बयान के दिन किसानों ने दिल्ली की ओर एक पैदल मार्च शुरू किया था, जिसमें उनकी ओर से एमएसपी के लिए कानूनी अधिकार की मांग की जा रही है.
शिवराज चौहान का बयान और विपक्ष पर तंज
शिवराज सिंह चौहान ने सदन को बताया, "मैं यह आश्वासन देता हूं कि किसानों का सभी उत्पाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा. यह मोदी सरकार है और यह मोदी की गारंटी को पूरा करने की गारंटी है."
विपक्षी नेताओं पर तंज करते हुए मंत्री ने कहा, "जब हमारे दोस्त सत्ता में थे, तब उन्होंने कहा था कि वे एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर सकते, खासकर उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत अधिक देने की बात पर. मेरे पास इसका रिकॉर्ड है."
कृषि मंत्री ने किया पिछली सरकारों की निंदा
शिवराज सिंह ने पूर्व कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया, शरद पवार और केवी थॉमस का हवाला देते हुए अपनी बात को समर्थन दिया. उनके बयान के बाद, राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने उनसे इस दावे को प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज सदन में पेश करने को कहा, जिस पर शिवराज सिंह चौहान ने सहमति जाहिर की.
उन्होंने दावा किया, "उन्होंने कभी किसानों का सम्मान नहीं किया और किसानों की लाभकारी मूल्य की मांग को गंभीरता से नहीं लिया. मैं यह आश्वासन देता हूं कि 2019 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देने का फैसला किया है."
किसानों के लिए लाभकारी मूल्य देने का दावा
कृषि मंत्री ने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य दे रही है और पिछले तीन सालों से धान, गेहूं, ज्वार और सोयाबीन को उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत ऊपर खरीदा जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि जब भी वस्तु दरों में गिरावट आती है तो निर्यात शुल्क और कीमतों में समायोजन जैसी पहल की जाती हैं.
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