Telangana Floods Latest News: उसके सपने बड़े थे, उसकी जिद बड़ी थी... वह कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे न सिर्फ उसका बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन हो... उसने मुसीबतों के कई तूफान का डटकर सामना किया और अपने जुनून के दम पर बहुत कम उम्र में सफलता की बड़ी छलांग भी लगाई, लेकिन उसकी जिंदगी की लकीर शायद छोटी थी.. महज 26 साल की उम्र में वह इस दुनिया को छोड़ गई. उसकी मौत की खबर सुनकर पूरा गांव सदमे में है. हम बात कर रहे हैं पुरस्कार विजेता कृषि वैज्ञानिक डॉ. नुनावथ अश्विनी की.


वो अश्विनी जिन्होंने संभावित विवाह और घर-गृहस्थी के दायरे से बाहर जाकर सपने देखने का साहस किया, वह समाज की पुरानी सोच से लड़ीं और अपने समुदाय से अलग कुछ ऐसा हासिल किया जो शायद ही किसी ने सोचा हो. जब वह अपने गांव की पहली वैज्ञानिक बनी थीं, तो हर कोई खुश था, लेकिन रविवार सुबह (1 सितंबर 2024) तेलंगाना के महबूबाबाद जिले में आई बाढ़ में अश्विनी और उनके पिता एन. मोतीलाल बह गए. हादसे के वक्त वह अपनी कार से पिता के साथ हैदराबाद जा रही थीं.


'वह महत्वाकांक्षी और बुद्धिमान थी'


उनके बड़े चचेरे भाई एन. हरि ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमने परिवार के सबसे स्नेही सदस्यों में से एक को खो दिया है. वह महत्वाकांक्षी और बुद्धिमान थी. अपने सपनों को हासिल करने की ललक रखती थी. उसके सामने अभी बड़ा करियर था. पूरे घर को उस पर नाज था. हरि के पिता और मोतीलाल भाई हैं.


छत्तीसगढ़ के बरौंडा में थीं तैनात


जेनेटिक एंड प्लांट ब्रीडिंग में पीएचडी करने वाली अश्विनी छत्तीसगढ़ के बरौंडा में आईसीएआर - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के फसल प्रतिरोध प्रणाली अनुसंधान स्कूल में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रही थीं. उन्होंने अप्रैल में रायपुर में आयोजित कृषि सम्मेलन में युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार जीता था.


भाई की सगाई में शामिल होने आई थीं


परिवार वालों ने बताया कि अश्विनी पिछले हफ्ते ही अपने भाई अशोक कुमार की सगाई में शामिल होने के लिए घर लौटी थीं. उन्हें रविवार को रायपुर वापस जाना था और सोमवार को ड्यूटी पर जाना था. रविवार सुबह-सुबह उनके पिता मोतीलाल ने भारी बारिश के बीच उन्हें हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर छोड़ने का फैसला किया. दोनों महबूबाबाद जिले के मरीपेडा में अकरू वागु पुल पर चढ़े ही थे कि उनकी कार बहने लगी. दरअसल, वह पुल पहले से ही पानी से लबालब भरा हुआ था, तेज बहाव में उनकी कार बह गई और दोनों की डूबने से मौत हो गई.


कम उम्र में जीते कई पुरस्कार


अश्विनी ने प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय, अश्वरावपेट से बीएससी (कृषि), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से एमएससी और हैदराबाद में विश्वविद्यालय के राजेंद्र नगर परिसर से पीएचडी की थी. फरवरी 2021 में अश्विनी, जो उस समय पीएचडी की प्रथम वर्ष की छात्रा थीं, को “आरआईएल आबादी की विशेषता और चने में फूल आने के समय के जीन से जुड़े आणविक मार्करों के सत्यापन” पर उनके पोस्टर के लिए पुरस्कार मिला था.


मौत की खबर सुन पूरे गांव में पसरा मातम


परिवार के सदस्यों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह अपनी पूरी शैक्षणिक यात्रा में अव्वल रहीं और उन्होंने दर्जनों शोध पत्रों का लेखन किया. डॉ. अश्विनी का परिवार तेलंगाना के खम्मम जिले के सिंगरेनी मंडल के गंगाराम थांडा से ताल्लुक रखता है. मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद जब पिता-पुत्री के शव परिजनों को सौंपे गए, तो गांव में मातम छा गया और अंतिम संस्कार के लिए आसपास के इलाकों से सैकड़ों लोग परिवार के साथ शामिल हुए.


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