नई दिल्ली: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले पर दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने आपत्ति जताई है. अहमद बुखारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से मुल्क का माहौल खराब होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले पूरे देश में खौफ और आशंका का माहौल था. लेकिन फैसला आने के बाद हिंदू मुसलमानों के बीच सद्भावना देखने को मिला.


शाही इमाम ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद पर बहस तेज हो गई है. मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग दुविधा में है. बुखारी के मुताबिक बोर्ड का ये कदम किसी भी तरह से मुनासिब नहीं है. इससे मुल्क में जो लोग शांति बहाल करने में जुटे हैं, उनको जबरदस्त धक्का पहुंचेगा.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने वादे से मुकर रहा है

अहमद बुखारी ने मुस्लिम लॉ बोर्ड के वादे को याद दिलाते हुए कहा,” सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अन्य पक्षों के साथ बोर्ड यही कह रहा था कि कोर्ट का फैसला उसे स्वीकार होगा. लेकिन अब क्यों उस पर अपील दायर करने की बात कह रहा है.” अहमद बुखारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि विवादित जगह पर अगर बाबरी मस्जिद निर्माण की इजाजत मिल भी जाए तो क्या ये संभव है ? वर्तमान परिदृश्य में प्रधानमंत्री भी खड़े होकर मस्जिद निर्माण नहीं करा सकते. और अगर मस्जिद का निर्माण हो भी गया तो नमाज पढ़ने की कौन हिम्मत दिखाएगा ? बुखारी ने कहा कि देश के माहौल को देखते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का फैसला नुकसानदेह होगा. मुसलमानों को इससे फायदा पहुंचने वाला नहीं है.