नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का 71 वर्ष की उम्र में निधन हो चुका है. अहमद पटेल एक महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. हालांकि आज सुबह 3.30 बजे अहमद पटेल ने आखिरी सांस ली. भारतीय राजनीतिक इतिहास में अहमद पटेल कांग्रेस के चाणक्य के तौर पर जाने जाते हैं. वहीं एक वक्त ऐसा भी आया था जब बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल को शिकस्त देने के लिए एड़ी चोटी तक का जोर लगा दिया था, लेकिन इसके बावजूद अहमद पटेल को हरा नहीं सके थे.


अहमद पटेल कांग्रेस के काफी भरोसेमंद नेता थे. अहमद पटेल का पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी को समर्पित माना जाता है. वहीं उन्होंने हर बार पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम किया और कभी भी जल्दी हार मानने वाले नेताओं में से नहीं रहे हैं. वहीं अहमद पटेल से जुड़ा एक किस्सा ऐसा भी है, जब बीजेपी के साथ कांटे की टक्कर में राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल ने जीत हासिल की थी.


बीजेपी का चाणक्य बनाम कांग्रेस का चाणक्य


बात साल 2017 की है. तब राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अहमद पटेल ने बीजेपी के बलवंत राजपूत को हराया था. यूं तो इस चुनाव में मुकाबला अहमद पटेल और बलवंत राजपूत के बीच था लेकिन भारतीय राजनीतिक इतिहास में ये चुनाव अहमद पटेल बनाम अमित शाह के तौर जाना जाता है. उस दौरान अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. अमित शाह को बीजेपी के चाणक्य के तौर पर जाना जाता है. ऐसे में 2017 का गुजरात का राज्यसभा चुनाव बीजेपी के चाणक्य बनाम कांग्रेस के चाणक्य के तौर पर देखा है.


दरअसल, 2017 के गुजरात के राज्यसभा चुनाव में तीन सीटों पर चुनाव हुआ. इस चुनाव में दो सीटों पर बीजेपी की जीत पक्की मानी जा रही थी तो वहीं एक सीट पर कांग्रेस की जीत की उम्मीद थी. लेकिन बीजेपी ने तीसरी सीट को भी अपने कब्जे में करने की ठान ली और मुकाबले को टक्कर का बना दिया. बीजेपी ने तीसरी सीट पर अहमद पटेल के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिया, जिससे तीसरी सीट पर कांग्रेस के लिए पेच फंस गया था.


इस्तीफों का सिलसिला


बीजेपी ने जैसे ही अहमद पटेल के खिलाफ बलवंत राजपूत को उतारने का ऐलान किया तो 45 वोट भी कांग्रेस को मुश्किल नजर आने लगे क्योंकि इस दौरान ही कांग्रेस के कई विधायकों के जरिए इस्तीफा देने का सिलसिला भी शुरू हो गया था. इधर इस्तीफों के कारण कांग्रेस पार्टी गुजरात राज्यसभा चुनाव में कमजोर होती जा रही थी, उधर बीजेपी तीसरी सीट पर जीत हासिल करने की योजना पर काम कर रही थी. वहीं इस योजना को पूरी तरह से प्रभावी करने के लिए खुद अमित शाह ने कमान संभाली.


कांग्रेस हर हाल ही में अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित करना चाहती थी. जिसके लिए पार्टी ने अपने विधायकों को रिजॉर्ट में भी रखा. वहीं मतदान से पहले एनसीपी और जेडीयू की तरफ से भी कांग्रेस को झटका मिल चुका था. दोनों ही पार्टियों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था, जिसके बाद तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के पास 44 वोटों का ही आंकड़ा बाकी था.


क्रॉस वोटिंग से बदला गेम


लेकिन गेम तब पलटा, जब कांग्रेस के एक विधायक ने क्रॉस वोटिंग की. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के दो विधायकों ने वोट डालने के बाद बूथ के बाहर मौजूद अमित शाह को इशारा किया था. जिसके बाद कांग्रेस ने आधी रात को चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और उनके वोट रद्द करने की मांग की.


वोट रद्द करने की मांग को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ चुकी थी. वहीं दोनों पार्टियां चुनाव आयोग के लगातार चक्कर लगा रही थी और आखिर में रात 12 बजे के बाद चुनाव आयोग ने अपना आखिरी फैसला सुनाया. ये फैसला कांग्रेस के लिए राहत की खबर लेकर आया और दोनों विधायकों के वोट रद्द कर दिए गए थे.


ऐसे में आखिर में कुल 176 वोटों की संख्या घटकर 174 हो गई. इसके साथ ही कांग्रेस को जीत के लिए 43.51 वोटों की दरकार थी. इसके बाद फिर से वोटों की गिनती शुरू हई और रात करीब दो बजे अहमद पटेल विजेता घोषित हुए. इसके साथ ही अहमद पटेल ने इस चुनाव में बीजेपी के प्लान को पूरी तरह से फेल कर दिया था.


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