नई दिल्ली: देश में अहमदाबाद मकान खरीदने के लिये सबसे सस्ता बजार बन गया है जबकि मुंबई इस मामले में सबसे महंगा है. संपत्ति के बारे में परामर्श देने वाली नाइट फ्रैंक इंडिया ने एक रिपोर्ट में यह कहा है. कंपनी ने ‘एफोर्डेबिलटी इंडेक्स’ 2020 जारी किया है. इसके अनुसार अहमदाबाद मकान के लिये देश का सबसे सस्ता बाजार है. आवास के मामले में किफायती अनुपात 2020 में 24 प्रतिशत रहा जो एक दशक पहले 2010 में 46 था.


मकानों के सस्ता होने के मामले में पिछले दशक के मुकाबले सार्थक सुधार


वहीं, पुणे और चेन्नई में किफायती अनुपात 26 प्रतिशत के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे. नाइट एंड फ्रैंक इंडिया ने कहा कि 50 प्रतिशत से अधिक अनुपात होने से बैंकों और आवास वित्त कंपनियों से कर्ज लेना मुश्किल होता है और मकान खरीदना ‘पॉकेट की क्षमता से बाहर होता है. किफायती सूचकांक के तहत आय के अनुपात में मासिक किस्त (ईएमआई) को ध्यान में रखा जाता है. मकानों के सस्ता होने के मामले में पिछले दशक के मुकाबले सार्थक सुधार पाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार मकानों की कीमतों में कमी और आवास ऋण पर ब्याज के कई दशक के निम्न स्तर पर जाने से 2020 में मकान खरीदना किफायती हुआ है.


नाइट एंड फ्रैंक ने कहा, ‘‘मुंबई किफायती अनुपात 61 प्रतिशत के साथ सबसे महंगा बाजार है जबकि अहमदाबाद, चेन्नई और पुणे अपेक्षाकृत सस्ते हैं.’’ पिछले दशक से तुलना की जाए तो मुंबई में भी मकान सस्ता जान पड़ता है. वर्ष 2010 में किफायती अनुपात 93 प्रतिशत था जो 2020 में 61 प्रतिशत रहा है.


राष्ट्रीय राजधानी में किफायती अनुपात सुधरा


सूचकांक में संपत्ति की कीमत, आवास ऋण पर ब्याज दर, परिवार की आय पर गौर किया जाता है. ये चीजें मकान खरीदने की क्षमता को निर्धारित करती हैं. राष्ट्रीय राजधानी में किफायती अनुपात सुधरकर 38 प्रतिशत रहा जो 2010 में 53 प्रतिशत था. बेंगलुरू में यह 2020 में 28 प्रतिशत रहा जो एक दशक पहले 48 प्रतिशत था. रिपोर्ट के अनुसार पुणे और चेन्नई में अनुपात सुधरकर 26 प्रतिशत पर आ गया जो 2010 में क्रमश: 39 प्रतिशत और 51 प्रतिशत था.


हैदराबाद में अनुपात 31 प्रतिशत रहा जो 2010 में 47 था. वहीं कोलकाता में यह 2020 में सुधरकर 30 प्रतिशत पर आ गया जो एक दशक पहले 45 प्रतिशत था. नाइट एंड फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘‘देश के प्रमुख आठ शहरों में किफायती अनुपात पिछले दशक के मुकाबले 2020 में उल्लेखनीय रूप से सुधरा है. इसका कारण आय स्तर में सुधार, निम्न ब्याज दर और उसके आधार पर संपत्ति के दाम में कमी है.


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