AI Model इस तरह से बताएगा हार्ट अटैक के बाद 30 दिनों में आपकी मौत हो सकती है या नहीं!
Heart Attack Survivors: AI डिवाइस की मदद से एक मरीज के 31 मुख्य विशेषताओं का विश्लेषण करके दिल का दौरा पड़ने पर 30 दिनों के भीतर मौत के जोखिम का अनुमान लगाया जा सकता है.
Heart Attack Survivors: भारत में हर साल लगभग 13-14 लाख लोग एक बहुत ही गंभीर प्रकार के दिल के दौरे (Serious Heart Attack) से पीड़ित होते हैं. ऐसे हार्ट अटैक से दिल की प्रमुख धमनियों में से एक धमनी ब्लॉक हो जाती है. ऐसे 8 से 9 फीसदी रोगी समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करते हैं और महज 30 दिनों के भीतर ही अपनी जान गवां बैठते हैं. हृदय रोग विशेषज्ञ इस स्थिति को एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन के नाम से जानते हैं.
दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के कार्डियोलॉजिस्ट के सहयोग से इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) दिल्ली द्वारा एक आर्टिफिशियल मशीन विकसित की गई है. ये मॉडल ऑनलाइन उपलब्ध है. इसे दिल्ली IIT की डॉक्टर अनुभा गुप्ता ने बनाया है. इस डिवाइस की मदद से हम एक मरीज के 31 मुख्य विशेषताओं का विश्लेषण करके उसे दिल का दौरा पड़ने पर 30 दिनों के भीतर मौत क जोखिम का अनुमान लगाया जा सकता है. ऐसे रोगियों की उम्र, सेक्स, परिवार में हार्ट अटैक की हिस्ट्री, अटैक के बाद घर से अस्पताल पहुंचने में लगने वाला समय और एंजियोप्लास्टी करने में लगा समय शामिल है.
भारत में मौत के जोखिम कारकों की पहचान करेगा एआई मॉडल
अंग्रेजी अखबार की वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉक्टर मोहित गुप्ता ने बताया, "ऐसे मामलों में मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए मौजूदा समय उपयोग किए गए ज्यादातर मॉडल पश्चिमी आबादी में मान्य हैं. यह पहली बार एक एल्गोरिदम या मॉडल है जो भारतीय आबादी के लिए अद्वितीय जोखिम कारकों की पहचान करता है. इस मॉडल की सटीकता को मान्य करने के लिए किए गए अध्ययन के परिणाम इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित किए गए हैं."
दिल के मरीजों का डाटा एकत्रित कर रहा जीबी पंत अस्पताल
डॉ गुप्ता ने कहा कि जीबी पंत एक रजिस्ट्री चला रहे हैं जो उत्तर भारत के सभी दिल के दौरे के रोगियों के डेटा को एकत्रित करती है. STEMI मामलों में मृत्यु दर की भविष्यवाणी करने के लिए मॉडल को रजिस्ट्री से 3,191 STEMI रोगियों के डेटा का उपयोग करके विकसित किया गया था. डॉक्टर गुप्ता ने आगे कहा, ऐसे रोगियों में जिनमें हार्ट अटैक के बाद 30 दिनों में मृत्यु दर 7.7 फीसदी थी. लर्निंग मशीन मॉडल पर जब इसका वेरीफिकेशन किया गया तो 85 फीसदी से ज्यादा मामलों में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की सही वजह का पता चल सकता है.
मील का पत्थर साबित होगा ये अध्ययन
डॉक्टर अशोक सेठ, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन ने बताया, 'यह अध्ययन मील का पत्थर है. विकसित देशों में एसटीईएमआई मामलों में अस्पताल में मृत्यु दर 4-5% के करीब पहुंच रही है. आईआईआईटी-दिल्ली और जीबी पंत अस्पताल द्वारा विकसित मॉडल भारत में भी मृत्यु दर को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम कर सकता है. यह रोगियों के जोखिम स्कोर के आधार पर एसटीईएमआई के मामलों की जांच करने और हस्तक्षेप, चिकित्सा चिकित्सा या एंजियोप्लास्टी को प्राथमिकता देने में मदद कर सकता है.
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