चेन्नईः तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने हिंदी को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर शनिवार को तीखी प्रतिक्रिया दी है. अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) ने जहां हिंदी को थोपने को लेकर आगाह किया. पार्टी ने अमित शाह से मांग की वह हिंदी को लेकर अपने यह विचार वापस लें. एआईएडीएमके के नेता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की दिशा में एकतरफा कदम उठाती है तो उसे तमिलनाडु बंगाल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कोई समर्थन नहीं मिलेगा.


इससे पहले अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा कि हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है जो एक आम भाषा के रूप में देश को एकजुट कर सकती है.

एआईएडीएमके के नेता और तमिलनाडु के संस्कृति मंत्री के पांडियाराजन ने कहा, "यदि केंद्र हिंदी को एकतरफा लागू करता है, तो उसे न केवल तमिलनाडु में बल्कि बंगाल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी (प्रतिकूल) प्रतिक्रिया मिलेगी और कोई समर्थन नहीं मिलेगा."

स्टालिन ने कहा कि बहुलवाद भारत की सबसे बड़ी ताकत है और विविधता में एकता देश की सांस्कृतिक पहचान है. उन्होंने आरोप लगाया केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से ही बीजेपी सरकार इस तरह पहचान को 'मिटाने' वाले कदम उठा रही है.


एमडीएमके प्रमुख वाइको ने कहा कि अगर भारत को अकेले हिंदी का देश बनना है, तो केवल हिंदी भाषी राज्य इसका हिस्सा होंगे, न कि तमिलनाडु और पूर्वोत्तर जैसे कई अन्य क्षेत्र.


पीएमके के संस्थापक नेता एस रामदास ने शाह की टिप्पणी को गलत बताया और कहा कि हिंदी को "थोपा नहीं जाना चाहिए." गौरतलब है कि पीएमके और बीजेपी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक गठबंधन का हिस्सा थे.


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