'मन की बात में पीएम मोदी ने हमारे काम को पहचाना, ये गर्व का पल', बोले एम्स CIMR प्रभारी
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र की बड़ी चुनौतियों पर विजय मिली है. उन्होंने इसका पूरा श्रेय चिकित्सा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और देशवासियों की इच्छा शक्ति को दिया.
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PM Modi On AIIMS Yoga Centre: पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार (25 दिसंबर) को 'मन की बात' (Mann Ki Baat) कार्यक्रम में दिल्ली एम्स में योग पर हो रही रिसर्च की सराहना की. एम्स दिल्ली सीआईएमआर प्रभारी ने पीएम मोदी की ओर से जिक्र किए जाने को गर्व का पल बताया. सीआईएमआर प्रभारी डॉ. गौतम शर्मा ने कहा कि ये हमारे लिए गर्व का क्षण है क्योंकि पीएम मोदी ने हमारे काम (मन की बात में) को पहचाना है.
उन्होंने कहा कि एम्स में 19 विभाग जरूरत के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं. जहां हमें लगता है कि आधुनिक चिकित्सा के संदर्भ में कमी है और जहां योग मददगार हो सकता है. डॉ. गौतम शर्मा ने कहा कि भविष्य में, हम रोगियों को नैदानिक सेवाएं प्रदान करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि लक्ष्य एकीकृत चिकित्सा प्रणाली है जहां सर्वोत्तम आधुनिक चिकित्सा और सर्वश्रेष्ठ भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को एक साथ रखा जा सकता है और आगे भी रोगियों की मदद की जा सकती है.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' की 96वीं और इस साल की अंतिम कड़ी में योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित अनुसंधान को एक चुनौती करार दिया और इस बात पर खुशी जाहिर की कि योग और आयुर्वेद आधुनिक युग की जांच और कसौटियों पर खरे उतर रहे हैं. उन्होंने कहा कि टाटा मेमोरियल सेंटर की ओर से किए गए गहन अनुसंधान से पता चला है कि स्तन कैंसर के मरीजों के लिए योग बहुत असरकारी है.
एम्स का किया जिक्र
पीएम ने कहा कि इस केन्द्र के अनुंसधान के मुताबिक योग के नियमित अभ्यास से स्तन कैंसर के मरीजों की बीमारी के फिर से उभरने और मृत्यु के खतरे में 15 प्रतिशत तक की कमी आई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी ऐसे ही प्रयास किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि एम्स (AIIMS) में हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को प्रमाणित करने के लिए छह साल पहले सेंटर फॉर इंटिग्रेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च की स्थापना की गई थी. इसमें अत्याधुनिक तकनीकों और अनुसंधान पद्धतियों का उपयोग किया जाता है. ये केन्द्र अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 20 अनुसंधान आलेख प्रकाशित कर चुका है.
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