कोरोना की दूसरी लहर में क्यों हो रही है आंखों में परेशानी, AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताई वजह
कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार लोगों की आंखों में परेशानी देखी जा रही है. डॉ गुलेरिया का कहना है कि लोगों की आंखों में वायरस इनफेक्शन के कारण परेशानी हो सकती है.
नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग में सही जानकारी होना भी बहुत जरूरी है. इस महामारी से जुड़े रोज नए सवाल सामने आते हैं जिनके जवाब ढूंढना जरूरी है. एबीपी न्यूज ने कोरोना से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर दिल्ली एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया से बात की.
आंख में परेशानी
कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की आंखों में भी परेशानी होती देखी जा रही है. इस पर डॉ गुलेरिया का कहना है कि लोगों की आंखों में वायरस इनफेक्शन के कारण परेशानी हो सकती है. जैसे नाक और गले में वायरस रहता है वैसे ही वायरस अगर हवा के जरिए आंखों के बाहर के हिस्से में पहुंचे तो परेशानी कर सकता है. फिर हमारे नाक और आंख में एक पाइप होता है जो दोनों को कनेक्ट करता है ऐसे में वायरल इनफेक्शन आंख में जा सकता है.
दवाइयों पर भी दें ध्यान
डॉ गुलेरिया ने कहा कि कोविड मरीज को जो दवाईयां दी जाती हैं उस पर भी ध्यान देना चाहिए, कई दवाइयों से सेकेंड्री इनफेक्शन हो सकते हैं. कुछ दवाइयां बॉडी की इम्यूनिटी भी कम कर सकती हैं. कई मरीज हमने देखे हैं कि वो ठीक हो जाते हैं लेकिन बाद में उन्हें फिर से बुखार हो जाता है, निमोनिया हो जाता है. क्योंकि दवा के कारण उनकी इम्यूनिटी कम हो जाती है.
वैक्सीन कब लगाएं
यह पूछने पर कि जिन्हें कोई लक्षण नहीं है उन्हें भी वैक्सीन लगवाना चाहिए, डॉ गुलेरिया ने कहा कि अगर आपको कोई लक्षण नहीं है लेकिन आपको यह लगता है कि आपको कोविड है तो आपको वैक्सीन लगवानी चाहिए. अगर आपको बुखार, जुकाम जैसे लक्षण हैं तो पहले अपना टेस्ट कराएं, टेस्ट पॉजिटिव है तो वेट करें कि आप ठीक हो जाएं और ठीक होने के दो हफ्ते बाद वैक्सीन लगवा सकते हैं. लेकिन अगर आपको कोई लक्षण नहीं है तो यह कहना मुश्किल है कि आपको बीमारी है या नहीं और आपको वैक्सीन लगा लेनी चाहिए.
डॉ गुलेरिया ने कहा कि जिनको कोविड हो गया है उनको भी आगे आकर वैक्सीन फिर लगानी चाहिए. यह नहीं सोचना चाहिए कि मुझे कोविड हो गया तो अब फिर से कोविड नहीं हो सकता है इसलिए अब वैक्सीन की जरुरत नहीं है.
प्लाज्मा
यह पूछे जाने पर कि क्या प्लाज्मा की तकनीक कारगर नहीं है या प्लाज्मा लगाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, डॉ गुलेरिया ने कहा कि प्लाज्मा लगाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अगर हम डेटा देखें तो प्लाज्मा का डेटा इतना स्ट्रॉन्ग नहीं है. पिछले साल हमने कई प्लाज्मा बैंक भी खोले थे लेकिन आईसीएमआर की स्टडी ने भी यह दिखाया कि प्लाज्मा बहुत इफेक्टिव नहीं है.
डॉ गुलेरिया ने कहा कि दो चीजें बहुत जरूरी है. एक प्लाज्मा और दूसरी उसकी टाइमिंग. जो भी व्यक्ति कोविड से रिकवर होता है उसका मतलब यह नहीं होता कि उस व्यक्ति का प्लाज्मा हम दे सकते हैं. क्योंकि कई लोग जो रिकवर कर जाते हैं, उनकी बॉडी में एंटीबॉडी अच्छी मात्रा में नहीं बनती और उनका प्लाज्मा देने से कोई फायदा नहीं होता. उन्होंने कहा कि प्लाज्मा की अच्छी तरह जांच होनी चाहिए कि उसमें एंटीबॉडीज हैं या नहीं. दूसरा एंटीबॉडी जब किसी के शरीर में जाती हैं तो वो इसको इम्यूनिटी देती हैं लेकिन बीमारी के शुरू के स्टेज में ही वे प्रभावी होता है. पांचवे या सातवें दिन तक प्लाज्मा देने से ही फायदा होता है.
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