कोरोना महामारी से ठीक होने के बावजूद लंबे समय तक देखभाल की जरूरत पड़ सकती है. एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को कहा कि जो लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं उन्हें लंबे समय तक मेडिकल मदद की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि ऐसे कई मरीज हैं, जो कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लक्षण महसूस करेंगे और उन्हें उसके इलाज कराने की आवश्यकता होगी.
डॉक्टर गुलेरिया ने एक नियमित प्रेस कॉन्फेंस के दौरान बताया- अगर लक्षण 4-12 हफ्ते तक दिखते हैं तो इसे पोस्ट-एक्यूट कोविड सिंड्रोम कहा जाता है. अगर ये लक्षण 12 हफ्ते से ज्यादा दिखते हैं तो इसे पोस्ट-कोविड सिंड्रोम या नोन-कोविड कहा जाता है.
कोरोना से ठीक होने के बाद भी इलाज की जरूरत
उन्होंने बताया कि कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में जो सामान्य चीजें दिखती हैं वो है- सामान्य लंग काम करने के बावजूद सांस की समस्या, कई हफ्ते तक कफ, सीने में दर्द, चिड़चिड़ापन और पल्स रेट का बढ़ना. ये सभी लक्षण पोस्ट कोविड है, जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की वजह से आते हैं.
इसके अलावा, अन्य लक्षण जो दिखते हैं वो है- क्रोनिक फटिंग सिम्पटम, जिसमें ज्वाइंट में दर्द, शरीद में दर्द और सर दर्द होता है और इसमें इलाज की आवश्यकता पड़ती है. इसके अलावा एक और लक्षण जो सामान्यतया कोरोना से ठीक हुए लोगों में देखे जा रहे हैं, इसे 'ब्रेन फॉग ऑन सोशल मीडिया' कहा जाता है, इसमें किसी चीज पर ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई आती है और वह डिप्रेशन और इनसोम्निया से ग्रसित हो जाता है.
ब्लैक फंगस पर बोले गुलेरिया
डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि ऑक्सीजन के जरिए ब्लैक फंगस नहीं फैलता है. उन्होंने बताया कि 92-95% जिनमे फंगस दिखा उनको या तो डायबिटीज है या फिर स्टीरॉयड यूज किया गया है. उन्होंने कहा कि कई मरीज जो घर में रह रहा थ और सुगर कंट्रोल नहीं था और उन्होंने स्ट्रोरॉयड लिए, उसमें भी ब्लैक फंगस देखा गया. ऑक्सीजन ही एक बड़ा फैक्टर नहीं है. साफ-सफाई रखना बेहद जरूरी है. ऑक्सीजन इस्तेमाल कर रहे है तो उसके ट्यूब साफ हो.