दिल्ली: आईसीएमआर और भारत बायोटेक ने कोरोना वैक्सीन का दिल्ली के एम्स अस्पताल में फेस 1 और 2 का ट्रायल करने वाले डॉ संजय राय ने स्वदेशी वैक्सीन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन ट्रायल रोकने पर एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत की है. कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ संजय राय के मुताबिक वैक्सीन आने में वक़्त लगेगा और वैक्सीन अगले साल से पहले संभव नहीं हैं, फिर चाहे वो किसी भी देश की क्यों ना हो.
वैक्सीन कब तक आएगी?
कब तक आ जाएगी वैक्सीन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं हो सकता क्योंकि इसके कई फेस होते हैं. फेस 1 की सफलता के बाद दूसरा फेस शुरू होता है और उसकी सफलता के बाद तीसरा फेस शुरू होता है. अभी आपने देखा कि एक वैक्सीन जो तीसरे चरण के ट्रायल में था उसे किसी कारण से रोकना पड़ा. कभी भी कुछ भी हो सकता है उसको रोका जा सकता है.
वैक्सीन के साथ दो चीजें होती हैं. पहली की ह्यूमन ट्रायल हो रहा है तो किसी को नुकसान ना हो जो की बेसिक प्रिंसिपल है. दूसरा मेडिसिन का सेफ हो वैक्सीन और लंबे समय तक हो और इफेक्टिव भी हो. इफेक्टिव का मतलब उससे एंटीबॉडीज बने शरीर में और वह लंबे समय तक बने ताकि वायरस को न्यूट्रलाइज कर दें. यह नहीं कि कुछ वक्त के लिए उसे न्यूट्रलाइज करें बल्कि लंबे समय तक न्यूट्रलाइज करें.
इसीलिए अभी तक फेस 3 शुरू नहीं हुआ है, जो बताएगा कि लंबे समय तक बन रही है एंटीबॉडी या नहीं. इसलिए कहना बहुत मुश्किल है कि कब तक बन पाएगी वैक्सीन. फिर चाहे वह फेस 3 के ट्रायल में हो रहीं वैक्सीन क्यों ना हो. भारत बायोटेक का हो या फिर जायडस कैडिला हो या चाइना को हुए किसी का भी हो.
और कितने दिन ट्रायल चलेगा और कब मिलेगी वैक्सीन?
फेस वन के साथ-साथ फेस टू भी साथ-सथ चल रहा है. 12 सेंटेंस और है जहां ट्रायल चल रहे हैं. फेस वन के बाद फेस टू और फिर उसके बाद फेस 3 इन तीनों की ओवरऑल सफलता के बाद सब कुछ अच्छा रहा और बिल्कुल प्लान के मुताबिक चलता रहा तो कोई भी वैक्सीन अगले साल के शुरू तक आने की संभावना है. फिर चाहे वह किसी का भी हो.
किसी भी ड्रग या वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल करते हैं तो अलग-अलग चरण होते हैं. जब एक चरण में सफलता मिलती है तो रेगुलेटरी अथॉरिटी उसे देखती है और संतोष हो जाती है. यह ठीक है और सेफ्टी है और प्रोफाइल पर खरा उतर रहा है तो दूसरे चरण में जाने कि उसे अनुमति देते हैं. अगर वही फेल हो गया तो आगे जाने की अनुमति नहीं होती. सेफ्टी प्रोफाइल को जांचने के बाद ही अनुमति मिलती है.
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का ट्रायल रोका गया है, इसे वैक्सीन की खोज पर असर पड़ेगा?
वैक्सीन ट्रायल हो या किसी भी तरह के ड्रग का ट्रायल हो जब ह्यूमन पर करते हैं तो पहले यह देखा जाता है कि वह सेफ होना चाहिए. कोई भी एडवर्स इवेंट हो हो सकता है वैक्सीन से रिलेटेड हो या ना हो. जैसे अभी आपने पूछा उसमें एडवर्स इवेंट हुआ और सीरियस एडवर्स इवेंट हुआ, सीरियस में डच भी हो जाती है या अस्पताल में एडमिट करना पड़ता है उसको प्रॉपर इन्वेस्टिगेट करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. क्या वैक्सीन की वजह से हुआ या कोई और कारण है.
लेकिन जब तक इन्वेस्टिगेट कर नहीं लेंगे, हो सकता है वैक्सीन के कारण से हुआ हो उसके कोई कंप्लट जो काम कर रहा है. शुरू में छोटा सैंपल साइज होता है अब बड़े सैंपल साइज पर कर रहे हैं तो यह हो सकता है तो जांच के बाद जब रेगुलेटरी अथॉरिटी अप आती है कि नहीं सब कुछ ठीक है साइंटिस्ट देख लेते हैं सब कुछ ठीक है और यह किसी भी ट्रायल के साथ कहीं भी हो सकता है हिंदुस्तान में भी और बाहर भी.
इसीलिए ट्रायल में इतना समय लगता है क्योंकि सारे पहलुओं को देखना पड़ता है साइंस सही कहीं भी कंप्रोमाइज नहीं किया जा सकता. इसके बाद सारे पहलुओं को देखने के बाद उसकी सेफ्टी, कोई मेजर साइड इफेक्ट नहीं हो रहा है. एंटीबॉडी बना रहा है या नहीं यह देखा जाता है. अभी उसका इन्वेस्टिगेशन वहां चल रहा है एक बार जब इन्वेस्टिगेशन की रिपोर्ट आ जाएगी कि किस कारण से हुआ है उसके बाद निर्णय लिया जाएगा.
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