नई दिल्ली: आमतौर पर यह देखा जाता है कि बुजुर्गों को सही तरीके से स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलती हैं. इसके साथ ही पैसे की कमी की वजह से वे दवाईयां भी नहीं खरीद पाते हैं. ऐसे बुजुर्ग लोगों की मदद के लिए एम्स (अखिल भारतीय आयुवर्ज्ञिान संस्थान ) सामने आया है.
एम्स एक एनजीओ के साथ मिलकर आथर्कि और शारीरिक रूप से कमजोर 50 बुजुर्ग लोगों की मेडिकल देखभाल और इलाज की जिम्मेदारी लेगा. इसके साथ ही एम्स इन 50 बुजुर्ग लोगों को अलग-अलग स्वास्थ्य सेवाएं भी मुहैया कराएगा. इन सीनियर सिटिजन्स को उनकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के आधार पर अलग-अलग वृद्धाश्रमों और समाज में रहने वाले उम्रदराज लोगों में से चुना जाएगा.
एम्स के डॉ प्रसून चटर्जी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत एम्स का जेरियाट्रिक विभाग और एनजीओ 'हेल्दी एजिंग इंडिया' ऐसे जरूरतमंद लोगों के पास तक फ्री दवाएं पहुंचाएगा और इमरजेंसी की हालत में उन्हें हॉस्पिटल तक लाने ले जाने और उनके ट्रीटमेंट की सुविधा भी देगा.
एम्स के जेरियाट्रिक विभाग ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई वृद्धाश्रमों में किए अपने एक स्टडी में पाया कि इन वृद्धाश्रमों में रहने वाले करीब 80 फीसदी बुजुर्गों को किसी तरह की स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती. स्टडी में 20 वृद्धाश्रमों में रहने वाले करीब 1200 लोगों से और समाज के करीब 4000 लोगों से सवाल-जवाब किए गए.
सर्वे के अनुसार अधिकतर बुजुर्ग डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोरोनरी आर्टरी की परेशानियों समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हैं. इसमें लंबे समय तक दवाओं की और नियमित देखभाल की जरूरत है ताकि आगे होने वाली परेशानियों को रोका जा सके.
डॉ चटर्जी के अनुसार सर्वे में देखा गया कि उम्रदराज लोगों में गिर जाने, कमजोरी, डिमेंशिया और डिप्रेशन जैसी आयु संबंधी कई परेशानियां थीं. उन्होंने लोगों से भी स्थानीय जरूरतमंद लोगों की मदद करने को कहा.