दिल्ली में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे है. इसी बीच दिल्ली के एम्स के नर्सिंग यूनियन ने अपनी मांग नहीं माने जाने पर 10 जून को मास लीव पर जाने की बात कही है. इतना ही नहीं फिर भी मांग नहीं मानी गई तो 15 जून से एम्स नर्सिंग यूनियन ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. एम्स नर्सिंग यूनियन के मुताबिक लगातार 6 घंटे से ज्यादा उन्हें पीपीई किट पहने से कई दिक्कत हो रही है. वहीं ये काम रोज़ करने से उनकी सेहत पर असर पड़ने लगा है.
कोरोना में केस लगातर बढ़ने का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर दिख रहा और इसका दबाव अस्पतालों पर भी देखने को मिल रहा है. देश के हर कोविड अस्पताल में कई मरीज हैं जिनका इलाज चल रहा है और हेल्थ वर्कर लगातार काम कर रहे है. इसी बीच दिल्ली के नर्सिंग स्टाफ के मेंबर्स ने जमीन पर बैठकर प्रदर्शन किया. नर्सिंग स्टाफ के लोगों ने अपना काम खत्म करने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग नियम का पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. नर्सिंग स्टाफ की मांग पैसे बढ़ाने या छुट्टी को लेकर नहीं बल्कि काम के तरीके को लेकर है.
पीपीई किट से हो रही है परेशानी
एम्स के नर्सिंग यूनियन के मुताबिक कोविड वार्ड में काम करने के लिए पीपीई किट पहनना पड़ता है. ये पीपीई किट लगातार 6 घंटे तक पहने रहना पड़ता है. वहीं इसे पहनने और निकालने मैं भी वक्त लगता है. ऐसे में नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि 8 घंटे से ज्यादा वक्त उन्हें उस पीपीई किट में रहना पड़ता है जोकि बहुत तकलीफदेय है. इसे उनकी सेहत पर और काम पर असर पड़ रहा है.
एम्स नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष हरीश काजला ने कहा, ''इसके पीछे उनका तर्क है कि वह लगाता है पिछले ढाई महीने से काम कर रहे हैं वहीं लगातार मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. वहीं पीपीई से बहुत दिक्कत हो रही है. वहीं बिना छुट्टी के पीपीई किट में काम करना बहुत मुश्किल है. इनके मुताबिक पीपीई किट पहन कर काम करने में ये मुश्किल आ रही है.''
नर्सिंग यूनियन की मांग है कि कोविड वार्ड में ड्यूटी 6 घंटे से घटा 4 घंटे की हो, क्योंकि PPE किट पहनने और निकालने में 8 घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है. इसके अलावा PPE किट 6 घंटे से ज्यादा पहनने के बाद चेहरे पर लगे चश्मे से देखना मुश्किल हो जाता है.
यूनियन ने बताया है कि मेल नर्स से ज्यादा महिला नर्सेस को ज्यादा दिक्कत हो रही है. 6 घंटे तक लगातार पीपीई किट पहनने पर दम घुटने और डीहाइड्रेशन शिकायत होती है, क्योंकि PPE किट पहनने पहले और दौरान पानी और खाना नहीं खा सकते है. वहीं टॉयलेट भी नहीं जा सकते है. लगातार और रोज़ किट पहनने पर मास्क और ग्लास की वजह से चेहरों पर निशान पढ़ रहे है और चोट भी लग रही है. रोज़ किट पहनने से कई लोगो को अलग अलग दिक्कत हो रही है.
मांग नहीं माने जाने पर 15 जून से हड़ताल
एम्स नर्सिंग यूनियन का कहना है की वो काम करने से मना नहीं कर रहे है लेकिन लगातार काम करने से उनकी तबीयत खराब हो रही है. ऐसे एम्स प्रशासन से चिट्ठी लिखकर और मुलाक़ात कर साफ कह दिया है कि काम के कुछ घंटे कम करे ताकि ये बीमार ना पड़े. वहीं ऐसा नहीं होने पर 10 जून को एक दिन की मास लीव पर जाएंगे और फिर भी नहीं मानी गई मांग तो 15 जून से ये लोग हड़ताल पर जाने की बात कह रहे है.
हरीश काजला ने कहा, ''फिलहाल ये नर्सिंग स्टाफ अपने काम पर जा रहे है. उनका कहना अपनी मांगो को लेकर एम्स प्रशासन से भी इनकी बातचीत हो रही है. इनका साफ कहना है की अगर वो बीमार पड़ गए तो संक्रमित मरीजों का ध्यान कौन रखेगा इसलिए एम्स उनका ध्यान रखे.''
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