राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बेकाबू कोरोना के हालत और केजरीवाल सरकार की तरफ से अगले सोमवार की सुबह तक लगाए गए लॉकडाउन के बाद ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी एम्स ने इस दिशा में बड़ा फैसला किया है. अब कोरोना संक्रमण के चलते यहां पर ओपीडी की सुविधाएं बंद कर दी गई हैं और सिर्फ टेलीमेडिसिन की सुविधा उपलब्ध रहेगी.


इसके साथ ही, नियमित अस्पताल में दाखिला भी बंद रहेगा. इसके अलावा, इलेक्टिव सर्जरी भी बंद कर दी गई है. यह व्यवस्था अगले दो हफ्ते लिए है. उसके बाद स्थिति की समीक्षा के आधार पर आगे का फैसला किया जाएगा.


दूसरी तरफ, कोरोना संकट के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में कमी के पहलू पर तत्काल आधार पर विचार करे. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आज लॉकडाउन के एलान के दौरान भी बताया कि दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो रही है.




हाई कोर्ट ने केंद्र और आम आदमी पार्टी की सरकार को मंगलवार तक एक हलफनामा दाखिल कर दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए बेड की अस्पताल-वार उपलब्धता बताने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से यहां के अस्पतालों में वेंटीलेटर और ऑक्सीजन वाले बेड और बिना इन सुविधाओं वाले बेड की संख्या का ब्योरा भी देने को कहा है.


 


प्रवासी मज़दूरों के संकट पर हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों ही पिछले साल के लॉकडाउन में विफल रहीं, सबक सीखा जाना चाहिये. दरअसल पिछले साल लॉकडाउन के दौरान हज़ारों लाखों प्रवासी मज़दूर पैदल ही अपने गांव लौटने पर मजबूर हो गए थे. हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि 24 घंटे के अंदर कोरोना की जांच रिपोर्ट न देने पर लैब के खिलाफ कार्रवाई करने के दिल्ली सरकार के आदेश पर अमल न किया जाए.


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