Delhi AIIMS: दिल्ली एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने एम्स निदेशक को चिट्ठी लिखकर एम्स ट्रॉमा सेंटर को कोविड केयर में ना बदलने की मांग की है. एम्स आरडीए का कहना है कि कोविड के साथ-साथ ट्रॉमा भी जरूरी है. ऐसे में एम्स ट्रामा सेंटर के कोविड सेंटर बन जाने से ट्रॉमा के मरीजों को अच्छा इलाज नहीं मिल पाएगा. इसलिए एम्स ट्रॉमा सेंटर की जगह किसी और वॉर्ड को कोविड केयर सेंटर बनाया जाए ताकि एक्सीडेंट और ट्रॉमा मरीज़ों को बेहतर इलाज मिल सके.
आरडीए ने अपनी चिट्टी में लिखा की 28 मार्च, 2020 को सभी ट्रॉमा सेवाओं को मुख्य एम्स परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया था और जेपीएनए ट्रॉमा सेंटर की सभी मशीनरी और सेवाएं महामारी से निपटने के लिए समर्पित थीं. मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि और रोगी देखभाल के हित में, तत्काल निर्णय का सभी ने स्वागत किया है.
आरडीए ने अपनी चिट्टी में आगे कहा है कि जेपीएनएटीसी अपनी तरह का एक अग्रणी केंद्र रहा है, जो न केवल ट्रॉमा केयर प्रदान करता है, बल्कि देश में अन्य ट्रॉमा सेंटरों के विकास में भी मदद करता है. जेपीएनएटीसी में ट्रॉमा केयर वाले रोगियों के लिए बुनियादी ढांचा है और वैश्विक संस्थानों के व्यापक शोध और सुझावों के बाद बना है. यह ट्रॉमा स्थिति से लेकर उनके पुनर्वास तक के रोगियों की संपूर्ण आघात देखभाल के लिए सुनियोजित और समर्पित केंद्र है.
आरडीए का कहना है कि हम एक महीने पहले ट्रॉमा सेवाओं को वापस जेपीएनएटीसी में ट्रांसफर करने के लिए आभारी हैं. पूर्व-कोविड समय में ट्रॉमा सेवाओं को बहाल करने में एक महीने का समय लगा. अब कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन जैसा कि हमने कोविड की पिछली दो लहरों में देखा है, ट्रॉमा के मामले भी कम नहीं हो रहे हैं.
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आरडीए के अनुसार जेपीएनए ट्रॉमा सेंटर को कोविड सेंटर में बदलने से ट्रॉमा के मरीजों को एक बार फिर काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. आघात के शिकार ज्यादातर युवा उम्र के होते हैं, जो अपने परिवारों के कमाने वाले होते हैं. ऐसे में कोविड के साथ-साथ ट्रॉमा सेवाओं की भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस मामले पर प्राथमिकता लिया जाए और सर्जिकल ब्लॉक/एमसीएच ब्लॉक/जेरियाट्रिक ब्लॉक/बर्न्स जैसे ब्लॉक में कोविड सेंटर बनाने पर विचार करें.
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