केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश उत्तराखंड परिसर में मशीन खरीदने और दवा दुकान आवंटन में हुई धांधली के मामले में दो मुकदमे दर्ज कर 24 जगहों पर छापेमारी की. यह मुकदमे निजी कंपनी समेत आयुर्विज्ञान संस्थान के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं. सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक जिन लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए गए हैं, उनमें डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर बलराम उमर, डिपार्टमेंट ऑफ एनाटॉमी तत्कालीन प्रोफेसर विजेंदर सिंह, हॉस्पिटल प्रशासन के तत्कालीन सहायक प्रोफेसर डॉ अनुभव अग्रवाल हैं. इसके अलावा अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी शशीकांत, अस्पताल के अकाउंट्स ऑफीसर दीपक जोशी और निजी कंपनी मेडिक डिवाइस खनेजा, कॉम्पलेक्स शकरपुर दिल्ली के प्रोपराइटर पुनीत शर्मा और अज्ञात अधिकारी और निजी व्यक्ति शामिल हैं. दूसरे मुकदमे में त्रिवेणी सेवा फार्मेसी के पंकज शर्मा शुभम शर्मा, अज्ञात अधिकारी और निजी व्यक्ति शामिल हैं.


सीबीआई के मुताबिक इस मामले में कुछ दिनों पहले सीबीआई और अस्पताल के विजिलेंस विभाग ने मिलकर अस्पताल का आकस्मिक सर्वे किया था. इस सर्वे के दौरान पाया गया कि एम्स ऋषिकेश के परिसर में सड़क साफ करने वाली मशीन की खरीद और दवा की दुकान को स्थापित करने हेतु निविदाओं के आमंत्रण में तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखा गया है. इस मामले में यह भी आरोप था कि आरोपी अधिकारियों ने इन दोनों मामलों के टेंडर प्रक्रिया में भारत सरकार के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया. तमाम नामचीन फर्मों को इस टेंडर निविदा के दौरान किसी न किसी बहाने से टेंडर के बाहर कर दिया गया और उसकी जगह पर महत्वहीन फर्मों को यह काम करने की अनुमति दी.


यह भी आरोप है कि आरोपी अधिकारियों ने इन कंपनियों के साथ मिलकर निविदा दस्तावेजों में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की. साथ ही निविदओं में उत्पादक संघ के गठन के अस्तित्व को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया. यह भी आरोप है कि इसके पश्चात आरोपियों ने कथित तौर पर आराम अपराध के महत्वपूर्ण सबूतों को गायब कर दिया, जिससे जांच के दौरान यह पता ना चल सके कि किसने क्या गड़बड़ी की थी. इस तरह से एम्स को सड़क साफ करने वाली मशीन की खरीद में दो करोड़ 40 लाख और दवा की दुकान को स्थापित करने हेतु निविदा के आवंटन में दो करोड़ रुपए की हानि हुई. 


इस मामले में आकस्मिक सर्वे के बाद सीबीआई ने वहां से बरामद दस्तावेजों की जांच पड़ताल की और इस जांच पड़ताल के बाद एम्स ऋषिकेश के तत्कालीन अधिकारियों और निजी कंपनियों के खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए. सीबीआई के मुताबिक इन दोनों मुकदमों में आज उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित अलग-अलग 24 स्थानों पर छापेमारी की गई. इस छापेमारी के दौरान घोटाले से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए साथ ही अनेक डिजिटल डिवाइस भी सीबीआई ने अपने कब्जे में किए हैं. मामले की जांच जारी है.


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