Asaduddin Owaisi On TTD: तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने नियमों का उल्लंघन करने के लिए 18 गैर हिंदू कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुए उनकी छुट्टी कर दी. मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू निशाने पर हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जो हुआ बहुत गलत हुआ है.


एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “टीटीडी ने जो कारवाई की है, ये चंद्रबाबू नायडू ने की है. ये बीजेपी का साथ दे रहे हैं. हिन्दू न होने के नाते टीटीडी में काम करने वाले लोगों को हटाया जा रहा है. चंद्रबाबू नायडू को इस मामले को दोबारा देखना चाहिए. इससे मैसेज खराब जा रहा है. टीटीडी में जो हो रहा है गलत हो रहा है.”


क्या बोले नारा लोकेश?


वहीं, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) नेता नारा लोकेश ने बुधवार को कहा कि तिरुपति मंदिर बोर्ड के गैर-हिंदू कर्मचारियों को प्रबंधन निकाय की धार्मिक गतिविधियों से रोकने के फैसले पर कोई दोबारा विचार नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह आंध्र प्रदेश में पार्टी की सरकार का रुख है. टीडीपी महासचिव और मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश ने बीजेपी को अपनी पार्टी के पूर्ण समर्थन की पुष्टि की और कहा कि टीडीपी पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है.


हिंदुओं के मस्जिद न जाने का दिया उदाहरण


तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के गैर-हिंदू कर्मचारियों से संबंधित निर्णय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में अडिग हैं. हमने चुनावों से पहले इस बारे में बात की थी और हम इस पर कायम हैं. हम इसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाएंगे.’’


उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं. इसमें धार्मिक भावनाएं शामिल हैं.’’ उन्होंने अपनी बात रखने के लिए हिंदुओं को मस्जिद में काम करने की अनुमति नहीं दिए जाने का उदाहरण दिया. लोकेश ने कहा कि अगर इस फैसले को लेकर कोई कानूनी चुनौती आती है तो सरकार उसका मुकाबला करेगी.


जानें क्या है मामला?


एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि टीटीडी के 18 कर्मचारी गैर-हिंदू धर्मों के अनुयायी बताए जाते हैं और मंदिर निकाय द्वारा आयोजित सभी धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में उनके भाग लेने पर रोक लगा दी गई है. टीडीपी ने पूर्ववर्ती वाईएसआर कांग्रेस सरकार पर गैर-हिंदुओं को इस निकाय में नियुक्त करने और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है.


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