दिल्ली में जहांगीरपुरी हिंसा के बाद एमसीडी की तरफ से हुई कार्रवाई ने विवाद को और बढ़ा दिया है. एमसीडी के बुलडोजरों ने हिंसा प्रभावित इलाके में अवैध निर्माण बताकर कई दुकानों और निर्माण को ध्वस्त कर दिया. इसे लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर है. अब एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस कार्रवाई को लेकर बयान दिया है. 


एक समुदाय को बनाया जा रहा निशाना - ओवैसी
ओवैसी ने जहांगीरपुरी में एमसीडी की कार्रवाई को लेकर कहा कि, "जो कुछ भी हुआ, वो तुर्कमान गेट 2022 है. मुसलमानों को कलेक्टिव सजा दी जा रही है. मस्जिद के सामने की दुकानों को तोड़ा गया, लेकिन मंदिर के सामने दुकानों को क्यों छोड़ दिया गया? बुलडोजर सिर्फ अंसार पर चलता है, अर्जुन पर नहीं. ये एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. मैं इसकी निंदा करता हूं. मैं कोर्ट का शुक्रगुजार हूं कि उसने इस पर रोक लगाई."


पिछले 7 साल से क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
क्योंकि दिल्ली में एमसीडी में बीजेपी का शासन है, इसीलिए सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. वहीं एमसीडी का कहना है कि उसने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की है, जो पहले भी होती रही है. इस पर ओवैसी ने कहा कि, अगर वो (दुकान और मकान) अनाधिकृत थे तो 7 साल से बीजेपी की सरकार क्यों सो रही थी? आपने (सरकार) एक समुदाय को निशाना बनाकर उनकी दुकान और घर को नुकसान पहुंचाया है. कौन अपराधी है यह कोर्ट फैसला करेगा.


इससे पहले भी ओवैसी ने इस अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर कई ट्वीट किए थे. जिनमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने गरीबों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जंग छेड़ दी है. बिना नोटिस के गरीबों के घर तबाह किए जा रहे हैं. यूपी और एमपी की तरह दिल्ली में भी बुलडोजर चलाया जा रहा है. 


जहांगीरपुरी में क्या हुआ था?
दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के मौके पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में दोनों पक्षों पर आरोप हैं. पुलिस ने 25 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है और 5 आरोपियों के खिलाफ एनएसए भी लगाया गया है. लेकिन इसी बीच बुधवार 20 अप्रैल को जहांगीरपुरी में एमसीडी अधिकारियों ने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी. यहां मस्जिद के आसपास बनी दुकानों और अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो आदेश जारी हुआ कि यथास्थिति बनाए रखें, लेकिन कोर्ट के आदेश के कई घंटों तक बुलडोजर अपना काम करते रहे. लेफ्ट नेता वृंदा करात मौके पर पहुंची और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कार्रवाई को रोकने की मांग की. आखिरकार कई घंटों तक बुलडोजर चलाए जाने के बाद इस कार्रवाई को रोका गया. 


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