Asaduddin Owaisi On CAA Implementation: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ओवैसी ने शुक्रवार (5 अप्रैल, 2024) को कहा कि मैंने संसद में जब सीएए बिल को फाड़ा, तभी कहा था कि सीएए को एनपीआर और एनआरसी से जोड़कर देखना चाहिए. मैं शुरू से ही यह बोल रहा था. ये लोग झूठ बोल रहे थे.


एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया से बातचीत में कहा, "...सीएए को एनपीआर और एनआरसी के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए. यह सही साबित हुआ. अमित शाह ने लोकसभा में कहा है और आज राजनाथ सिंह ने कहा है. सीएए-एनपीआर-एनआरसी का लक्ष्य भारत में गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यक मुसलमानों को राज्यविहीन बनाना है..."






मार्च में भी असदुद्दीन ओवैसी ने कही थी ये बात 


इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने पिछले महीने (मार्च 2024) सीएए, एनआरसी और एनपीआर को दलित विरोधी करार दिया था. उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर केवल अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और दलितों को परेशान करने के लिए और उन्हें दबाने के लिए लाए जा रहे हैं. ओवैसी ने तब कहा था कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और एनआरसी को सीएए के आलोक में देखा जाना चाहिए. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि यह कानून अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों को अपने ही देश में परेशान करने के मकसद से लाए गए हैं.


क्या है सीएए और क्यों हो रहा इसका विरोध?


नागरिकता संशोधन कानून 2019 में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन इस कानून से मुस्लिम वर्ग को बाहर रखा गया है. यही वजह है कि इस कानून का इतना विरोध हो रहा है. हालांकि सरकार लगातार ये कह रही है है कि सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है.


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