Asaduddin Owaisi on UCC: मुस्लिमों की मजहबी शिनाख्त खत्म करना ही UCC का मकसद- असदुद्दीन ओवैसी का दावा
Asaduddin Owaisi Attacked BJP: AIMIM चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी का आरोप है कि यूसीसी का मकसद सिर्फ मुसलमानों को टारगेट करना है.
Asaduddin Owaisi Questions UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी समान नागरिकता संहिता को लेकर एक बार फिर एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि UCC का मकसद एक ही है, मुसलमानों की मजहबी शिनाख़्त को खत्म करना. ओवैसी ने कहा है कि तुम ये UCC नहीं बल्कि मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करने की कोशिश कर रही है, उत्तराखंड की सरकार.
रविवार (3 मार्च) को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से शेयर किए गए इस वीडियो में ओवैसी ने कहा है कि बीजेपी नेता मुस्लिम महिलाओं से अपनेपन की बात करते हैं, लेकिन क्या कोई बीजेपी नेता जाकर बिलकिस बानो से माफी मांगेगा?
'इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट'
ओवैसी ने कहा, ''इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रेक्ट है. यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए अपने रिवाज (हिंदू) हम पर थोपना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यूसीसी के जरिए असली मकसद भारत के मुसलमानों को टारगेट करना है. एक तरफ आप पसमांदा मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. लेकिन दूसरी और मुसलमान का हक मार रहे हैं.
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UCC का मक़सद एक ही है, मुसलमानों की मज़हबी शिनाख़्त को ख़त्म करना। ये UCC नहीं बल्कि मुसलमानों को उनके मज़हब से दूर करने की कोशिश कर रही है उत्तराखंड की सरकार। pic.twitter.com/HeOYUrAh4S
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 3, 2024
नागरिकों के लिए विवाह और तलाक का नियम अलग'
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम अलग-अलग है. इसे सब लोगों पर थोपा नहीं जा सकता. उन्होंने पसमंदा मुसलमानों के लिए बीजेपी नेताओं की हमदर्दी पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि मुस्लिम ख्वातिनों के साथ बीजेपी शासित राज्यों में जो अत्याचार हुए हैं उसका क्या?
क्यों हो रहा है यूसीसी का विरोध?
बता दे कि उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के लिए बिल पारित कर दिया है और असम सरकार भी उस ओर कदम बढ़ा रही है. इसका विरोध हो रहा है क्योंकि मुस्लिम समुदाय यूसीसी को धार्मिक मामलों में दखल के तौर पर देखते हैं. यूसीसी का विरोध करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का मानना है कि यूसीसी की वजह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वजूद खतरे में पड़ जाएगा.
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