'पीएम मोदी कह दें कि वह पूजा स्थल कानून के साथ', असदुद्दीन ओवैसी ने किस बात को लेकर प्रधानमंत्री से की ये गुजारिश?
Asaduddin Owaisi: हैदराबाद सांसद असुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट कह चुकी है कि पूजा स्थल अधिनियम संविधान की मूल संरचना से है तो सरकार इससे सहमत क्यों नहीं है.
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AIMIM Chief: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 जनवरी) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था, जिस पर अदालत की तरफ से रोक लगाई गई है. वहीं, शीर्ष अदालत के फैसले के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूजा स्थल अधिनियम का बचाव करने की गुजारिश की.
ओवैसी ने कहा, 'जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये कहते हैं कि वह पूजा स्थल अधिनियम 1991 के साथ खड़े हैं. उस दिन से कोई भी विवाद नहीं होगा.' हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने आगे कहा, 'अगर प्रधानमंत्री ये बात कह देते हैं कि सभी धार्मिक स्थल उन्हीं के होंगे जिनके अधिकार में वे 15 अगस्त, 1947 तक थे और अब उनमें कोई बदलाव नहीं होगा तो कोई और मुद्दा नहीं उठने वाला है. वह इस बात को क्यों नहीं कह रहे हैं?'
सुप्रीम कोर्ट से सहमत क्यों नहीं होती सरकार: ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'मामला अदालत में जा रहा है और अदालत इस पर फैसला दे रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सही चीज की है. बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम संविधान की मूल संरचना से आता है. जब सुप्रीम कोर्ट इस बात को कहता है तो सरकार उससे सहमत क्यों नहीं होती?' श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर ओवैसी ने अदालत के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का आदेश देने पर खुशी जताई.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सर्वे के आदेश पर रोक लगा दी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष प्रबंधन ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह समिति की तरफ से एक याचिका दायर की गई. इसमें शाही ईदगाह मस्जिद के लिए एक आयोग की नियुक्ति को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई. शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर संबंधित उत्तरदाताओं को नोटिस भी जारी किया.
अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 23 तारीख तय की है. अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही जारी रखी जा सकती है, लेकिन सुनवाई की अगली तारीख तक आयोग को नहीं बनाया जा सकता है. अदालत ने पाया कि हाईकोर्ट ने सर्वव्यापी निर्देशों की मांग करने वाले एक अस्पष्ट आवेदन पर कार्रवाई की है. अदालत ने कहा कि आवेदन में पूरी जानकारी होनी चाहिए.
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