Ajmer Dargha Survey: अजमेर दरगाह केस मामले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सवाल उठाते हुए भाजपा और आरएसएस पर धार्मिक स्थलों के प्रति नफरत फैलाने का आरोप लगाया है. ओवैसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार कानून के शासन को कमजोर कर रही है. उन्होंने इस मुद्दे को लोकतंत्र और न्यायिक प्रक्रियाओं के लिए खतरा बताया है.
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, " दरगाह पिछले 800 सालों से यहीं है. नेहरू से लेकर सभी प्रधानमंत्री दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं. बीजेपी-आरएसएस ने मस्जिदों और दरगाहों को लेकर इतनी नफरत क्यों फैलाई है? पीएम मोदी भी वहां चादर भेजते हैं. निचली अदालतें प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं?. इस तरह कानून का शासन और लोकतंत्र कहां जाएगा? यह देश के हित में नहीं है. पीएम मोदी और आरएसएस का शासन देश में कानून के शासन को कमजोर कर रहा है.ये सब बीजेपी-आरएसएस के निर्देश पर किया जा रहा है."
पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं ओवैसी
ओवैसी इस मामले पर पहले भी विवादित बयानबाजी कर चुके हैं. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था "सुल्तान-ए-हिन्द ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं. उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह. कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गए, लेकिन ख्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है." ओवैसी ने आगे लिखा कि 1991 का का कानून साफ कहता है कि किसी भी इबादतगाह की मजहबी पहचान को बदला नहीं जा सकता ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी. ये अदालतों का कानूनी फर्ज है के वो 1991 एक्ट को अमल में लाए, बहुत ही अफसोस की बात है कि हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने किया है दावा
बता दें कि दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वादी विष्णु गुप्ता ने साक्ष्यों के आधार पर अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा पेश किया था, इस मामले में कल (मंगलवार) भी सुनवाई हुई थी, बुधवार को भी कोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायालय ने वाद को स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामलात और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण धरोहर को नोटिस जारी करने के आदेश जारी करने का फैसला दिया. कोर्ट ने सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की है.