Asaduddin Owaisi On Criminal Law Bills: संसद में बुधवार (20 दिसंबर) को आपराधिक कानूनों से जुड़े तीनों विधेयकों पर चर्चा हुई. इस दौरान ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इन विधेयकों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि ये कानून जुर्म रोकने से सरकार के अपराधों को कानूनी शक्ल देने लिए बनाए जा रहे हैं.


एआईएमआईएम प्रमुख ने सरकार पर शायराना अंदाज में निशाना साधते हुए कहा, "हमको शाहों की अदालत से तवक्को तो नहीं, आप कहते हैं तो जंजीर हिला देते हैं." उन्होंने कहा कि पिछले सेशन में मोदी सरकार ने जन विश्वास बिल पेश किया था, जिसमें 183 अधिनियम और 43 कानून थे. उनको निकाल कर फाइल में तब्दील कर दिया.


'जन विश्वास के नाम पर लोगों को खतरे में डाला'
उन्होंने बताया कि इस बिल में ड्रग्स और कॉस्मेटिक एक्ट को भी संशोधित किया गया और सजा के बजाए फाइन लागू कर दिया और जन विश्वास के नाम पर आपने (सरकार) लोगों को खतरे में डाल दिया. जहां पर कंपनियों को सजा देनी चाहिए थी, वहां पर आपने उसे फाइन में बदल दिया और गैर-हिंसक अपराध को नए कानून में शामिल कर दिया.


'सूट पहनने वाला सजा से बच जाता है'
सरकार पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, "जन के लिए अविश्वास और धंधे के लिए विश्वास सरकार का मंत्र है." उन्होंने कहा कि आज सूट पहनने वाला सजा से बच जाता है. खाकी पहनने वाला किसी को भी गोली मार सकता है और उसकी कोई जवाबदेही नहीं है.


'बिना जुर्म के सालों जेल में रहते हैं लोग'
AIMIM नेता ने कहा कि संसद में बैठे जिन लोगों पर आतंकवाद के आरोप हैं, वह इस कानून में बताएंगे कि आतंकवाद किया है. उन्होंने कहा कि देश के गरीब, दलित और मुसलमानों के लिए जिंदगी से बड़ी कोई सजा नहीं है. अगर कानून में संशोधन करना ही था तो उस अधिनियम को निकालना चाहिए था, जिसमें लोगों को बिना जुर्म के सालों जेल में रखने का मौका मिल जाता है.


उन्होंने संसद में बताया कि देश में सबसे ज्यादा ट्रायल दलित, आदिवासी और मुसलमानों पर है. उन्होंने एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि जेल में 20 प्रतिशत मुसलमानों पर ट्रायल चल रहा है, जबकि उनकी आबादी 14.2 करोड़ है.


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