दिल्ली के जहांगीरपुरी में शनिवार को हनुमान जयंती के मौके पर शोभायात्रा के दौरान भड़के दंगा और उसके बाद हिंसा वाली जगह पर अवैध अतिक्रमण को लेकर चलाए गए बुलडोजर ने अब सियासी रूप ले लिया है. एक तरफ जहां हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी लगातार इसको लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं तो वहीं बीजेपी ने इसे दो समुदाय के बीच खाई पैदा करने की कोशिश करार दिया है.
ओवैसी को पुलिस ने जहांगीरपुरी जाने से कथित तौर पर रोक दिया, जहां बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कई अवैध निर्माण को ध्वस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि कुछ घंटों के भीतर ही इस कार्रवाई पर रोक लगा दी. ओवैसी हिंसा प्रभावित इलाकों में जाने की कोशिश कर रहे थे. जहांगीरपुरी में भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
ओवैसी को प्रभावित इलाके में जाने से रोका
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी जहांगीरपुरी पहुंचे तो थे राजनीति चमकाने, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां जाने नहीं दिया. ओवैसी सिर्फ जामा मस्जिद ही जा पाए उसके बाद पुलिस ने उन्हें वापस लौटा दिया. ओवैसी जहांगीरपुरी में बुलडोजर चलाने के फैसले पर भड़क गए और कहा कि एक खास समुदाय को टारगेट किया जा रहा है. जहांगीरपुरी में बुलडोजर मामले में ओवैसी की एंट्री पर बीजेपी ने निशाना साधा है. उसका कहना है कि एआईएमआईएम सुप्रीमो दोनों समुदाय के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं.
ओवैसी का बीजेपी-आप पर हमला
उन्होंने इलाके में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा शुरू किए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधा. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “आप कह रही है कि वे रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं. मैं इसकी निंदा करता हूं.” उन्होंने नगर निगम के इस अभियान को “बिना विधिक प्राधिकार के कानून लागू करने’’ का उदाहरण करार दिया और इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की.
ओवैसी ने कहा, “भाजपा के एक नेता ने जहांगीरपुरी में बुलडोजर का इस्तेमाल करने के लिए पत्र लिखा और मेयर ने कहा कि वे अपराधी हैं और उनके घरों को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए.” एआईएमआईएम प्रमुख ने यह भी जानना चाहा कि पुलिस की अनुमति के बिना हनुमान जयंती पर जहांगीरपुरी में शोभायात्रा कैसे निकाली जा सकती है.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत जहांगीरपुरी में बुधवार को बुलडोजर ने कई ढांचों को तोड़ दिया. लेकिन, उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कुछ ही घंटों के भीतर इस अभियान को रोक दिया गया. हालांकि, न्यायालय द्वारा अधिकारियों को इसे रोकने का निर्देश दिए जाने के बाद भी अतिक्रमण विरोधी अभियान कुछ समय तक जारी रहा.
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