Lok Sabha Election: असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM यूपी में अकेले लड़ेगी चुनाव, कहा- अखिलेश यादव समझौते पर नहीं तैयार
Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की नजर राज्य के मुस्लिमों वोटों पर है. वह पहले ही बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं.
Lok Sabha Election News: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम उत्तर प्रदेश में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने वाली है. हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ समझौता करना चाहती थी, लेकिन बात नहीं बनने पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान हुआ है. पार्टी ने कहा है कि जल्द ही 25 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होगी. यूपी से पहले बिहार में भी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है.
वहीं, ओवैसी की पार्टी के चुनावी मैदान में अकेले उतरने का फैसला करने के बाद यहां लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं. यूपी में मुस्लिम आबादी करीब 20 फीसदी है और राज्य की कई सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी काफी अच्छी है. यही वजह है कि ओवैसी की पार्टी की नजर राज्य के इन मुस्लिम मतदाताओं पर है. बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाकों में जीत का स्वाद चख चुकी एआईएमआईएम को यूपी में भी ऐसी ही उम्मीद है.
समझौते को तैयार नहीं हुए अखिलेश: एआईएमआईएम प्रवक्ता
एआईएमआईएम प्रवक्ता मोहम्मद फरहान ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, बीजेपी को तीसरी बार सरकार बनाने से रोकने के लिए हम सपा के साथ समझौता करना चाह रहे थे. इसी वजह से सिर्फ पांच सीटों की मांग की गई थी, लेकिन अखिलेश यादव ना तो समझौता करने को तैयार हैं और ना ही किसी तरह की बातचीत करने को. उन्होंने कहा कि ऐसे में पार्टी ने अब 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.
'मुस्लिमों को विधायक-सांसद बनते नहीं देखना चाहतीं सेक्युलर पार्टियां'
मोहम्मद फरहान ने अखिलेश यादव पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सपा मुखिया बीजेपी से मिले हुए हैं और उसकी मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कथित सेक्युलर पार्टियां मुस्लिमों को विधायक-सांसद बनते हुए नहीं देखना चाहती हैं. इसी वजह से असदुद्दीन ओवैसी से दूरी बनाई गई है. उन्होंने कहा कि अगर हमारे अकेले चुनाव लड़ने से अखिलेश यादव की सपा समेत दूसरी कथित सेक्युलर पार्टियों के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ता है, तो उसकी सारी जिम्मेदारी खुद उनकी ही होगी.
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