मोहन भागवत के बयान पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी, कही ये बात
असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या संविधान के तहत हमारी मर्यादा का सम्मान किया जाता है या नहीं? हमारी खुशी का पैमाना यह है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय मुसलमान दुनिया में सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि जब भारतीयता की बात आती है तो सभी धर्मों के लोग एक साथ खड़े होते हैं.
अब उनके इस बयान पर एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, "खुशी का पैमाना क्या है? यही न कि भागवत नाम का एक शख्स हमें बताता रहता है कि हमें बहुसंख्यकों के प्रति कितना आभारी होना चाहिए?''
ओवैसी ने आगे कहा, ''क्या संविधान के तहत हमारी मर्यादा का सम्मान किया जाता है या नहीं? हमारी खुशी का पैमाना यह है. हमें यह नहीं बताइए कि हम कितने खुश हैं."
What is measure of our happiness? That a man named Bhagwat can constantly tell us how grateful we should be to the majority? The measure of our happiness is whether our dignity under Constitution is respected. Don't tell us how 'happy' we're while your ideology wants... pic.twitter.com/DjRe5lhSBx
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 10, 2020
भागवत क्या बोले? मुगल शासक अकबर के खिलाफ युद्ध में मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की सेना में बड़ी संख्या में मुस्लिम सैनिकों के होने का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि भारत के इतिहास में जब भी देश की संस्कृति पर हमला हुआ है तो सभी धर्मों के लोग साथ मिलकर खड़े हुए हैं.
संघ प्रमुख ने महाराष्ट्र से प्रकाशित होने वाली हिंदी पत्रिका ‘विवेक’ को दिये इंटरव्यू में कहा, ‘‘सबसे ज्यादा भारत के ही मुस्लिम संतुष्ट हैं.’’ उन्होंने कहा कि क्या दुनिया में एक भी उदाहरण ऐसा है जहां किसी देश की जनता पर शासन करने वाला कोई विदेशी धर्म अब भी अस्तित्व में हो.
भागवत ने कहा, ‘‘कहीं नहीं. केवल भारत में ऐसा है.’’ उन्होंने कहा कि भारत के विपरीत पाकिस्तान ने कभी दूसरे धर्मों के अनुयायियों को अधिकार नहीं दिये और इसे मुसलमानों के अलग देश की तरह बना दिया गया.
भागवत ने कहा, ‘‘हमारे संविधान में यह नहीं कहा गया कि यहां केवल हिंदू रह सकते हैं या यह कहा गया हो कि यहां केवल हिंदुओं की बात सुनी जाएगी, या अगर आपको यहां रहना है तो आपको हिंदुओं की प्रधानता स्वीकार करनी होगी. हमने उनके लिए जगह बनाई. यह हमारे राष्ट्र का स्वभाव है और यह अंतर्निहित स्वभाव ही हिंदू कहलाता है.’’
संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि कौन किसकी पूजा करता है. धर्म जोड़ने वाला, उत्थान करने वाला और सभी को एक सूत्र में पिरोने वाला होना चाहिए.
भागवत ने कहा, ‘‘जब भी भारत और इसकी संस्कृति के लिए समर्पण जाग्रत होता है और पूर्वजों के प्रति गौरव की भावना पैदा होती है तो सभी धर्मों के बीच भेद समाप्त हो जाता है और सभी धर्मों के लोग एक साथ खड़े होते हैं.’’
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संदर्भ में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि यह केवल परंपरागत उद्देश्यों के लिए नहीं है बल्कि मंदिर राष्ट्रीय मूल्यों और चरित्र का प्रतीक होता है.
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविकता यह है कि इस देश के लोगों के मनोबल और मूल्यों का दमन करने के लिए मंदिरों को ध्वस्त किया गया. इस कारण से लंबे समय से हिंदू समाज मंदिरों का पुनर्निर्माण चाहता था. हमारे जीवन को त्रस्त किया गया और हमारे आदर्श श्रीराम के मंदिर को गिराकर हमें अपमानित किया गया. हम इसका पुनर्निर्माण करना चाहते हैं, इसका विस्तार करना चाहते हैं और इसलिए भव्य मंदिर बनाया जा रहा है.’’
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