Indian Criminal Laws: लोकसभा में आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल बुधवार (20 दिसंबर) को पास हो गए. इन तीनों ही बिलों पर चर्चा के दौरान काफी बहस हुई. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल पर चर्चा के दौरान कुछ मर्दों के साथ होने वाले मुद्दों को भी उठाया. जब उन्होंने ये बात कही तो कुछ सदस्य मुस्कुराने लगे, जिस पर ओवैसी ने कहा कि शायदा आपको मालूम नहीं है.
दरअसल, जिन तीन बिलों को पास किया गया है, उसमें भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 शामिल हैं. गृह मंत्री अमित शाह के विस्तृत जवाब के बाद इन्हें ध्वनिमत से मंजूरी मिली है. ये तीनों बिल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह पर लाए गए हैं.
बिल पर चर्चा के दौरान ओवैसी ने क्या कहा?
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा, 'रेप का क्या सिर्फ महिलाओं का होता है? क्या मर्दों का रेप नहीं होता है? बिल में इस पर कोई प्रावधान नहीं है. क्या मर्दों का पीछा नहीं किया जाता है?' ओवैसी के ऐसा कहने पर कुछ सदस्य हंसने लगे. इस पर ओवैसी ने कहा, 'आप हंस रहे हैं. आपको पता नहीं है. ऐसा होता है. आपकी हंसी ये बता रही है कि आप जानते हैं कि किसका हुआ है. जस्टिस जेएस वर्मा ने कहा कि बिल को जेंडर न्यूट्रल बनाइए.'
ओवैसी ने आगे कहा, 'क्लॉज 69 में लव जिहाद का जिक्र किया गया है. आप इसको साबित ही नहीं कर पाएंगे. इसमें आपको बताना होगा कि पहचान छिपाकर रिश्ता बनाया गया है. यानी कि अगर कोई महिला मोनू मानेसर या चोमू चंडीगढ़ से इश्क करती है. बाद में उसको मालूम होता है कि वह चंडीगढ़ या मानेसर का नहीं है, तो क्या क्लॉज 69 एक्शन में आएगा. अगर किसी का नाम मुस्लिमों के नामों की तरह कॉमन होगा, तो क्या ये सेक्शन लागू होगा.'
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा, 'आपने अडल्ट्री, समलैंगिकता को निकाल दिया. इसमें सहमति से संबंध बनाने के अधिकार को खत्म कर दिया गया है. भले ही मैं मजहबी तौर पर इसके खिलाफ हूं, मगर आपने अधिकार क्यों खत्म कर दिया. राजद्रोह को फिर से लेकर आया गया है, भले ही इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया. आपने सुप्रीम कोर्ट में अंडरटेकिंग देकर कहा था कि इस प्रावधान को नहीं लाया जाएगा.'
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