Waqf Board Controversy: केंद्र सरकार संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लाने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर अब सियासी पारा बढ़ने लगा है. एआईएमआईएम के प्रवक्ता वारिस पठान ने इस बिल पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीयत में खोट है. उन्हें मस्जिद, नमाज और मदरसे से भी नफरत है. इसलिए बीजेपी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद शुरू से ही हमारे मुसलमानों की वक्फ बोर्ड की संपत्ति को निशाना बना रहे हैं. वारिस पठान के इस बयान पर बीजेपी नेता शाजिया इल्मी ने करारा जवाब दिया है.
शाजिया इल्मी ने कहा कि वक्फ एक्ट से आम मुसलमानों कोई फायदा नहीं होता है. इसका केवल उन लोगों को फायदा होता है जो इसका हिस्सा होते हैं. इन्होंने पूरी दिल्ली का 77 फीसदी से ज्यादा हिस्सा वक्फ का घोषित कर दिया है. इस एक्ट में सुधार की जरुरत है. शाजिया ने कहा कि इसकी निरंकुश ताकतों को रोकने के लिए इसमें बदलाव की जरुरत है. जितना जल्दी इसपर लगाम लगाया जाता है उतना अच्छा होगा.
मोदी सरकार करेगी वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन
दरअसल, देश में लंबे समय से वक्फ बोर्ड की असीमित अधिकारों को कम करने की मांग को लेकर एनडीए सरकार एक नया फैसला लेने को तैयार है. इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लेने की तैयारी में है. जिसके जरिए संपत्तियों को 'वक्फ परिसंपत्तियों' के रूप में हस्तांतरित करने को प्रतिबंधित करने और वक्फ बोर्ड की व्यापक शक्तियों पर नियंत्रण करने का लक्ष्य है.
वक्फ अधिनियम अगले हफ्ते केंद्र सरकार कर सकती है पेश
सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट ने शुक्रवार को इस अधिनियम में लगभग 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है, इसमें प्रस्तावित बदलाव वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को वक्फ संपत्ति के रूप में नामित करने की शक्ति को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. इस बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश किये जाने की उम्मीद है.
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