अहमदाबाद: गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. लेकिन गोधरा नगर पालिका सीट पर ओवैसी की पार्टी AIMIM ने कब्जा कर लिया. यहां ओवैसी ने बीजेपी को सत्ता में लौटने से रोक दिया. गोधरा वही जगह है जहां साल 2002 में 59 कारसेवकों की ट्रेन में आग लगने से मौत हो गई थी. इस घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन) ने निर्दलीय नगर सेवकों की मदद से ये जीत हासिल की है. 44 सीटों वाली गोधरा नगर पालिका में एआईएमआईएम ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें से 7 सीटों पर जीत हासिल कर ली. लेकिन 17 निर्दलीय नगर सेवकों के समर्थन से एआईएमआईएम ने अब गोधरा नगर पालिका पर कब्जा कर लिया. एआईएमआईएम को समर्थन देने वाले 17 निर्दलीय में से 5 हिंदू नगर सेवक हैं.
गोधरा नगर पालिका में बहुमत हासिल करने के लिए कुल 23 नगर सेवकों की जरूरत होती है. लेकिन ओवैसी की पार्टी को अब 24 सदस्यों का बहुमत मिल गया है. इस नगर पालिका में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 18 सीटें जीती हैं. लेकिन बीजेपी प्राप्त समर्थन हासिल नहीं कर सकी. अब बीजेपी अपने 18 पार्षदों के साथ विपक्ष में बैठेगी.
पहली बार ओवैसी की पार्टी की दावेदारी
स्थानीय निकाय चुनाव के जरिए ओवैसी की पार्टी ने पहली बार गुजरात की राजनीति में कदम रखा है. पहली बार एआईएमआईएम ने गोधरा, मोदासा और भरूच नगर पालिकाओं में अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. पहली बार के हिसाब से ये बड़ी जीत है. मोदासा सिविक बॉडी सीट पर भी ओवैसी की पार्टी के 9 सदस्यों ने जीत हासिल की है.
बता दें, गुजरात में 28 फरवरी को नगरपालिकाओं, जिला और तहसील पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनावों में करीब 64 फीसदी मतदान हुआ था. नगर पालिकाओं में 8,473 सीटों के लिए मतदान हुआ था, जबकि जिला पंचायतों के लिए 980 और तालुका पंचायतों के लिए 4,773 सीटों के लिए कुल 36,008 बूथों पर मतदान हुआ था. वोटों की गिनती 2 मार्च को हुई थी.
ये भी पढ़ें-
19 साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा गोधरा कांड का मुख्य आरोपी, 2002 से चल रहा था फरार