नई दिल्ली: 3 तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नया दांव चला है. बोर्ड ने हलफनामा दायर कर कहा है कि वो काज़ियों को 3 तलाक से बचने की एडवाइजरी जारी करेगा.


सुप्रीम कोर्ट एक साथ 3 तलाक बोलने की व्यवस्था यानी तलाक ए बिद्दत पर सुनवाई पूरी कर चुका है. 6 दिन चली सुनवाई के दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लगातार ये दलील देता रहा कि 3 तलाक धार्मिक मसला है. इसलिए कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए.


सुनवाई के आखिरी दिन बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि बोर्ड 3 तलाक को गलत मानता है. इसलिए निकाह कराने वाले काज़ियों को इससे बचने के लिए एडवाइजरी जारी करेगा. इस पर कोर्ट ने सिब्बल से कहा था कि एडवाइजरी में क्या लिखा जाएगा, उसकी कॉपी कोर्ट में जमा करें.


आज इस बारे में दाखिल हलफनामे में बोर्ड ने कहा है कि वो अपनी वेबसाइट, पत्रिकाओं और सोशल मीडिया के जरिए देश भर के काज़ियों को एडवाइजरी जारी कर 2 बातों की सलाह देगा :-


पहला, काजी निकाह के दौरान दूल्हे को समझाएगा कि वो 3 तलाक से बचे. क्योंकि इसे शरीयत में गलत माना गया है.


दूसरा, काज़ी दूल्हा-दुल्हन को बताएगा कि वो तीन तलाक न करने की शर्त निकाहनामे में डालें.


इसके अलावा बोर्ड ने कोर्ट को जानकारी दी है कि 16 और 17 मई को हुई बैठक में उसने तलाक ए बिद्दत से बचने के लिए कई और कदम उठाने का फैसला किया है. मसलन, वो सबको इस्लाम के मुताबिक तलाक के उचित तरीके के बारे में बताएगा. साथ ही, मुस्लिम समाज से अपील करेगा कि 3 तलाक करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए.


सुप्रीम कोर्ट में 3 तलाक खत्म करने की पैरवी करने वाले तमाम पक्षों का मानना है कि ये कोर्ट के फैसले से बचने के लिए बोर्ड का आखिरी दांव है. उनका ये भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट 3 तलाक से मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों पर पड़ने वाले असर पर विस्तार से सुनवाई कर चुका है. कोर्ट ने इस बात को भी परखा है कि ये इस्लाम का ज़रूरी हिस्सा है या नहीं. ऐसे में पर्सनल लॉ बोर्ड का ये दांव कोर्ट के फैसले पर बहुत असर डालेगा, इसकी उन्हें उम्मीद नहीं है.


गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने 18 मई को 3 तलाक पर सुनवाई खत्म कर ली थी. फैसला गर्मी की छुट्टी के बाद आने की उम्मीद है.